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हार्दिक श्रद्धांजलि
• वै. शकुन्तला नाहर सांसों का क्या ठिकाना, कब रूक जाए चलते चलते।
प्राणों का दीपक भी, कब बुझ जाए जलते जलते।। अष्ट कर्मों के विजेता अहिंसा के अवतार भगवान महावीर के श्रीचरणों में श्रद्धानत् वंदन। संसार रूपी समुद्र से पार उतारने में तिनके जैसा सहारा देने वाली पूज्या मेरा गुरुवर्या जी के चरणों में भाव भरा वंदन अर्पण हो। जिन्होंने हमारे जीवन में आध्यात्मिक विकास कैसे जागृत हो तथा विकसित हो भौतिकता के कीचड़ से हम कैसे ऊपर उठें। कैसे संसार रूपी पंक में हम कमलवत् बनें। इन बातों का हमारे जीवन में पूर्ण रूपेण समावेश करने में श्रद्धायुत् वंदनीया गुरुवर्या श्री जी ने अधिकांश समय सजगता का परिचय दिया। इस क्रियाविधि के दरम्यान उन्होंने हमें ज्ञान, ध्यान सिखाना तथा जीवन में उतारने में रंचमात्र भी कंजूसी का परिचय नहीं दिया बल्कि उदारता का प्रयोग किया। क्योंकि महापुरुषों का जीवन ही निर्मल व स्वच्छ बहती हुई नदी की भांति सबके लिए खुला रहता है। उपयोग करने वाला उस अमूल्य नदी का उपयोग किस प्रकार करता है यह बात तो उपयोग करने वाले पर निर्भर होती है। वे स्वयं अपने जीवन में ज्ञान, ध्यान, तप व त्याग में इतने परिपक्व थे कि दर्शनार्थ आए श्रावक को उनके साधना कर्म का प्रकाश जरूर मिलता व वह उनसे अवश्य लाभान्वित होकर ही आगे बढ़ता। थोकड़े का ज्ञान तो इतना अधिक हो गया था कि जीवन के चप्पे-चप्पे में वह उतरने में सफल हो रहा था।
आज श्रमण परंपरा को प्रज्वलित करने वाली उनकी त्याग, तपस्या, करुणा, दया, सहृदयता, सरलता सेवाभावना, साधना की पराकाष्ठा हमें यह संदेश देती रहती है कि हमें उनके बताए व आचरित पद चिंहों पर ही चलते रहना है। क्योंकि श्रद्धा व समर्पण ही जीवन के अंतिम बिंदु तक पहुँचाने में सफल हो सकती है। मैं अहर्निश उस अदृश्य सत्ता से यही अपेक्षा करती हूँ कि उनके गुण सौरभ की महक से हमारा जीवन हमेशा प्रभावित होता रहे। उनके जीवन के साधना क्षेत्र से हमारा जीवन प्रकाशित होता रहे। यही अपेक्षा करते हुए अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।
kindly accept our deeply condolance on demise of Shri Kan kuvarji.
. -Mahavir cloth store, Dabhol
Heartfelt condolance on sudden demise of Mahastiji Maharajashaib.
- -Jain Shri Sangh, Rampura.
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