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धर्मकथा :- सूत्र-वाचना पृच्छना, परिवर्तना और अनुप्रेक्षा से जब तत्व का रहस्य हृदयंगम हो जाये तब उस पर प्रवचन करना धर्मकथा हैं।
स्वाध्याय के नियम :- स्वाध्याय के संबंध में कुछ नियम भी है यहां उन नियमों के केवल नामोल्लेख करना ही पर्याप्त समझा जा रहा है। यथा - (१) एकाग्रता, (२) नैरन्तर्य, (३) विषयोपरति, (४) प्रकाश की उत्कंठा और (५) स्वाध्याय का स्थान।
स्वाध्याय के संबंध में आगे और भी विचार विस्तार से किया गया है स्वाध्याय योग्य ग्रंथ स्वाध्याय के लिये उपयुक्त समय, अस्वाध्याय। अस्वाध्याय की स्थिति पर भी विस्तार से विचार किया गया है। स्वाध्याय के परिणाम या लाभों पर भी चिंतन किया गया है। स्थानांग में कहा गया है।
(१) स्वाध्याय से श्रुत का संग्रह होता है। (२) शिष्य श्रुत ज्ञान से उपकृत होता है, वह प्रेम से श्रुत की सेवा करता है। (३) स्वाध्याय से ज्ञान के प्रतिबंधक कर्म निर्जरित होते है। (४) अभ्यस्त श्रुत विशेष रूप से स्थिर होता है। (५) निरंतर स्वाध्याय किया जाय तो सूत्र विच्छिन्न भी नहीं होते। आचार्य अकलंक ने तत्वार्थ राजवार्तिक में स्वाध्याय के निम्नांकित लाभ बताये हैं :(१) स्वाध्याय से बुद्धि निर्मल होती है। (२) प्रशस्त अध्यवसाय की प्राप्ति होती है। (३) शासन की रक्षा होती हैं। (४) संशय की निवृति होती है। (५) परवादियों की शंकाओं के निरसन की शक्ति प्राप्त होती है। (६) तप-त्याग की वृद्धि होती है। (७) अतिचारों की शुद्धि होती है।
इस प्रकार स्वाध्याय का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है। फिर साधक के लिये तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। गुरुणीजी महासती श्री कान कुवंरजी म.सा. स्वाध्याय के महत्व को भली भांति समझती थी। यही कारण था कि वे सदैव स्वाध्याय में निरत रहा करती थी। समय को व्यर्थ गवांना उन्हें पसंद नहीं था। इसके साथ ही आपको अनेक थोकड़े की कंठस्थ थे। यदि आपसे कोई साध्वीजी स्वाध्याय के लिये निवेदन करते तो आप बिना किसी विलम्ब के स्व-अर्जित ज्ञान के द्वारा उन्हें लाभ प्रदान करते। दस रानियों का लेखा, तीर्थकर चरित्र आदि का पारायण आप प्रातः जल्दी उठकर कर लिया करते थे। आपके ज्ञान ध्यान का कार्यक्रम प्रातः तीन बजे से ही प्रारंभ हो जाता था। आपका यह कार्यक्रम नियमित रूप से प्रतिदिन चलता रहता था। स्वाध्याय के लिये आप अन्य साध्वियों को भी प्रेरणा प्रदान करती रहती थी। स्वाध्याय के संबंध में आपका जो ध्येय था, उसे निम्नांकित पंक्तियों में अभिव्यक्त किया जा सकता है।
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