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कल अचानक सुना कि महासती श्री कानकुंवर जी म.सा. का स्वर्गवास हो गया है। एकाएक विश्वास नहीं हुआ, पर अंततः विश्वास करना पड़ा। समाचार सुनकर हृदय को आघात लगा, किंतु किया ही क्या जा सकता है। विधि के विधान के सम्मुख किसी का जोर नहीं चलता है। ऐसे विकट समय में आप लोग धैर्य धारण करें एवं उनके पद चिन्हों पर चलकर उनकी यशः कीर्ति में चार चांद लगावें। जिनेश्वर प्रभु से यही प्रार्थना है कि स्वर्गस्थ आत्मा को चिरशांति प्राप्त हो। गुरुणी जी महाराज सा. चले गए पर उनका यश, उनके द्वारा किये गए शुभ कार्य सदैव सदैव अमर रहेंगे। वे शरीर से गये हैं, पर गुणों से अभी भी हमारे बीच ही हैं और सदैव रहेंगे।
- मुनिश्री अमृतचन्द्रजी म.सा. की आज्ञा से -प्रेषक अरविन्द त्रिपाठी, पाली
अभी-अभी तार द्वारा पू. महासतीजी की कानकुंवर जी म.सा. के नहीं रहने की सूचना पूज्य गुरुदेव श्री रतन मुनिजी म.सा. को अत्यन्त दुःखद लगी। व्याख्यान बन्द रखकर शोक सभा की गई। पू. गरुदेव ने महासती जी का परिचय दिया और चार लोगस्स का ध्यान कर उनकी आत्मा की शांति प्राप्ति की कामना की गई। संघ द्वारा शोक प्रस्ताव पारित किया गया।
यह बहुत दुःखद घटना हुई है। पू. सती वृन्द को सान्त्वना देवें और धीरज धारण करने का पू. गुरुदेव श्री ने आत्मीय संदेश फरमाया है।
- गुरुदेव की आज्ञा से, दिलीप, कवर्धा (म.प्र.) पू. महासती श्री १००५ की कानकुंवरजी मा. दि. ३-८-९१ को देवलोक हुए, यह समाचार सुनकर अत्यन्त दुःख हुआ। भगवान उनको देवगति दिलावें।
. ताराचन्द कुशालचन्द बाफणा, ब्यावर पू. अनासक्त योगिनी, परमविदुषी महासतीजी श्री कानकुंवरजी म.सा. ने संथारे सहित पंडित मरण प्राप्त कर पार्थिव शरीर को त्यागा। यह समाचार जानकर समस्त संघ में शोक छा गया। जैन समाज में एक तेजस्वी, ओजस्वी महासतीजी की कमी हो गई। परम कृपालु परमात्मा से प्रार्थना है कि आप सभी को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करें और गुरुणी जी के अधूरे कार्यों को पूरा करने की सामर्थ्य प्रदान करें। अंत में दिवंगत आत्मा की चिरशांति के लिए प्रार्थना की गई।
. बाबूलाल, अतुल कुमार एंड कम्पनी, कोचीन महासतीश्री कानकुंवरजी म.सा. के देवलोक होने के समाचार सुनते ही यहाँ शोक छा गया। शोक सभा आयोजित कर श्रद्धांजलि चार लोगस्स का ध्यान कर दी गई। गरीबों को भोजन करवाया गया। आप सभी धैर्य धारण करें।
. श्री ओसवाल जैन समाज, रामपुरा (म.प्र.) सरलमना पूजनीया महासती श्री कानकुंवर जी म.सा. के स्वर्गवासी होने के समाचार सुनकर बहुत दुःख हुआ। हमारे साध्वी समाज में जो क्षति हुइ उसकी पूर्ति निकट भविष्य में सम्भव नहीं है।
___ कालस्य कुटिल गति :- काल की गति कुटिल है । सभी को इसके आगे हार मानना पड़ती
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