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याचामहे वयंचैव पूतायाः परमांगति निर्वाणं नियतां शान्ति क्षिप्रं मोक्षं च वाञ्छित
(१०) जयतु जयतु चम्पा लोक विख्यात कीर्तिः जयतु जयतु धर्मः स्थापितो जैनवर्यै : जयतु जयतु सत्यं सर्वदा सर्वथातु जयतु जयतु लोकः शोकनिमुक्त चेताः
धन्य धन्य हे महासती
• शशिकर 'खटका राजस्थानी
राह बताई तुमने हमको हम उससे मंजिल पाते हैं। धन्य धन्य है महासती। गुण गौरव तेरे गाते हैं।
धन्य हुई मरुस्थल की माटी धन्य कुचेरा ग्राम हुआ,
मात पिता किसना फूला का तुमरे कारण नाम हुआ। संवत् उन्नीसौ तैयासी मार्ग शीर्ष शुक्ला की दूज, धरा गगन पर निकले चन्दा जन मन दोनों रहे थे पूज।
महक गई बगिया की डाली झूम झूम सब जाते हैं।
धन्य धन्य है महासती। गुण गौरव तेरे गाते हैं। अध्यात्म योगिनी कान्हकुंवर जी का तुमको सांनिध्य मिला, जैन जगत की बगिया में, फिर चम्पा का सुमन खिला।
दो हजार पांच का संवत् पोष कृष्णा दशमी आई,
ग्राम कुचेरा की मिट्टी ने मुस्करा कर ली अंगड़ाई। सती चन्दना के पथ पर चम्पा जी पांव बढ़ाते हैं। धन्य धन्य हे महासती! गुण गौरव तेरे गाते हैं।
तेज देखकर महासती का मुनि हजारी धन्य हुए,
महासती चम्पा के कारण उदित सभी के पुण्य हुए। संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी के संग पढ़ली तुमने गुजराती, ओज भरे स्वर के अन्दर तुम आगम वाणी समझाती।
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