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मुनि श्री महेन्द्र कुमार 'दिनकर':.. जन्म:- वि.सं. २०१६ पौष कृष्णा ३०, ब्यावर माता:- श्रीमती पदमाबाई पिताः- श्रीमाणकचन्द जी डोसी दीक्षा:- वि.सं. २०३१ मार्गशीर्ष कृष्ण॥ ११, ९-१२-१९७४ महामंदिर, जोधपुर (राजस्थान) गुरुदेवः- उपप्रवर्तक स्वामीजी श्री ब्रजलाल जी म.सा. एवं युवाचार्य श्री मिश्रीमल जी म.सा.
'मधुकर
अध्ययन:- संस्कृत-हिन्दी विशेष रूचिः- मौन साधना की रुचि, कविता, मुक्तक आदि में भी रुचि।
नयरन कमार 'निरंजन'जन्म:- पीपाड़ सिटी जिवा जोधपुर (राजस्थान) माता:- श्रीमती भीकीबाई पिताः- श्रीमान् केवलचन्द जी दीक्षा स्थान:- लाम्बा जाटान गुरुदेव:- उप प्रवर्तक मुनिश्री विनय कुमार जी म.सा. 'भीम' विशेष रूचिः- सेवाभावी, तपस्वी, मिलनसार, बालकों में सुसंस्कार उत्पन्न करने की भावना।
मनुष्य के जैसे विचार होते है वैसा ही उसके जीवन का निर्माण होता है। अगर मनुष्य को हृदय सुविचारों से परिपूर्ण नहीं है तो उसका कुलीन होना अथवा उच्च वंशीय होना भी कोई अर्थ नहीं। रखता। क्योंकि कुविचार अन्त:करण पर कुठाराघात करते है और आत्मा को अवतति की ओर ले जाते है। । है। इसलिये किसी भी मनुष्य का अपने उच्च वंशीय होने का गर्व करना निरर्थक है और निम्न कुल. में।
जन्म लेने के कारण हीनता का अनुभव करना भी व्यर्थ है। अगर मनुष्य को वास्तव में ही आत्मा का | कल्याण करना है, संसार के जन्म-मरण से मुक्त होना चाहता है तो उसे प्रत्येक स्थिति में अपने विचारों को और कार्यों को उच्च बनाना चाहिये। यही उन्नति का मूलमंत्र है और सच्चा आर्यत्व है।
युवाचार्य श्री मधुकर मुनि
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