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तेजस्वी साध्वीरत्ना
• के.टी. शाह (मामा), मद्रास इस धरा पर अनेक मनुष्य जन्म लेते हैं और मरते हैं। किंतु अनेक महापुरुष अपने कृतित्व की सौरभ से इसे सुरभित कर जाते हैं।
अपने स्थानकवासी सम्प्रदाय की परमविदुषी श्री कानकुंवरजी म.सा. की सुशिष्या शांत, दांत, सरल स्वभावी पू. श्री चम्पाकुंवरजी म.सा. हमारे बीच से चले गए, यह बड़े दुःख की बात है।
आपश्री का जीवन प्रेरणास्पद आदर्शों का इतिहास, साधना का स्वर्णिम सोपान था। वीतरागप्रभु द्वारा बताये मार्ग के प्रति अटूट आस्था, साधक आत्मा की जीवन शुद्धि के द्वारा साधना की सीढ़ी पर चढ़ कर आपश्री मोक्ष मंजिल पर पहुंचे। सदा पुरुषार्थ रत गुरुणी भगवतं को मेरी ओर से कोटि कोटि वंदन।
आज वे हमारे मध्य नहीं हैं किंतु उनेक आदर्श अमर हैं। उनके जीवन का प्रत्येक क्षण मृत्यु की शिक्षा प्राप्त कर पंडित मरण के महोत्सव को आमंत्रित करता था। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय तक पू. गुरुणी जी श्री कानकुंवर जी म. की सेवा की। ऐसे समय में क्रूर काल ने उन्हें हमसे छीन कर अन्याय किया।
उनश्री की आत्मा जहाँ भी हो शासन देव चरम तीर्थंकर वीर परमात्मा उन्हें चिर शांति प्रदान करें, यही प्रार्थना है।
अनमोल हीरा
• ललित महिला मंडल, मद्रास मोक्ष मार्ग के मंगल यात्री, रत्नत्रय आराधिका, साधिका पू.श्री चम्पाकुंवरजी म.सा.
पू. महासती जी का जीवन सद्गुणों से सुवासित था। अरिहंत की आज्ञा आपका प्राण था। संयम पालन आपका श्वासोच्छवास था। जन्म मरण के चक्र से छुटकारा पाने के लिए आपने अपनी गुरुणी जी की सेवा अंत समय तक की। सेवा से आपने मुक्ति रूपी मेवा प्राप्त किया।
आपने संयम साधना के साथ साथ ग्रामनुग्राम जैन शासन की सुन्दर प्रभावना की।
पू. महासती जी के जीवन में वैदुष्य के साथ विनम्रता, सरलता, वात्सल्य देखने को मिलता था। ऐसे महासती जी को हमारी लाख लाख वंदना।
__पू. श्री चम्पाकुंवरजी म. सा. की आत्मा शीघ्रातिशीघ्र कर्मों की निर्जरा कर शिवगति प्राप्त करे यही मंडल की आंतरिक श्रद्धांजलि है।
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