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स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी म. सा. तथा युवाचार्यजी में भी लगभग थोड़ा ही समय का विछोह रहा और यहां भी लगभग पुनरावृत्ति रही। परम श्रद्धेय, सरलमना, वयोवृद्धा महासतीजी के वे शब्द “ताराचंद अब ज्यादा समय नही निकल सकता।" अब बार-बार मानस पटल पर तैर रहे है। पू. महासती श्री चम्पाकुवंर जी म. के विछोह ने उन्हें काफी कृश कर दिया था। कितनी आत्मीयता, कितना अपनत्व समेटे हुए थे। ऐसी विषम परिस्थिति में धैर्य धारण कर ज्ञान ध्यान में अभिवृद्धि करते हुए सभी को सान्त्वना दिलावें। पू. श्री बसंतकुवंर जी म. सा. प-. श्री कंचनकुवंर जी म.सा. आप दोनों बड़े हैं। आप दोनों पर सभी छोटी सतियां जी को सम्हालने की अधिक जवाबदारी है। यद्यपि वे भी सभी ज्ञानवान हैं फिर भी सम्हालने की आवश्यकता है। इसके साथ ही पू. श्री के बताये मार्ग पर चलकर धर्मवृद्धि करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना है। पू. श्रीचन्द्रप्रभाजी म. सा. आप पर और भी अधिक उत्तरदायित्व आ गया है, बड़ों की सेवा के साथ ज्ञान वृद्धि करें।
पू. श्री के प्रति हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कामना है कि स्वर्गवासी आत्मा को शांति प्रदान हो।
दर्शन की इच्छा अधूरी रह गई
• नेमी चन्द सुराना, हैदराबाद __ पू.श्री चम्पाकुवंर जी म.सा. का आघात अभी भूल भी नहीं पाये थे कि अचानक एक और दुःख का पहाड़ टूट पड़ा। ऐसी आशा कदापि नहीं थी कि पू. श्री कानकुवंर जी म.सा. हमें छोड़ कर इतनी जल्दी चले जायेंगे। किंतु होनी को कोई रोक नहीं सकता। आप श्री महासतियां जी को जो आघात पहुंचा है, उसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती।
इस समय धैर्य रखने की बड़ी आवश्यकता है। और सभी छोटी सतियां जी को सान्त्वना देकर उन्हें आगे जन्म मरण के चक्र से मुक्त होने की प्रेरणा देवें।
हम पू. महासती श्री कानकुवंर जी म.सा. के दर्शनार्थ आने के लिये पूरी चेष्टा कर रहे थे किंतु हमारे भाग्य में उनके दर्शन नहीं होना लिखा था, तो नहीं हो पाये। हमारी इच्छा अधूरी ही रह गई।
दिवंगत महासतीजी श्री कानकुवंरजी म.सा. की आत्मा की चिर शांति के लिये वीर प्रभु से प्रार्थना करते हुए उन्हें अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
‘शांत स्वभावी महासती जी
• उगमचन्द सुराना, सिकंदराबाद __पू. महासती जी श्री कानकुवंर जी म.सा. के स्वर्गवास के समाचार सुनकर हमारे पूरे परिवार को अत्यन्त दुःख हुआ। पू. महासती जी बहुत ही शांत स्वभाव के थे। हमारे परिवार पर उनकी पूरी कृपा
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