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- कार्तिकेयानुप्रेक्षा
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लोक शब्दकी निरुक्ति लोकमें जीवोंका अवस्थान वसनालीका स्वरूप जीवोंके भेद साधारणकायवाले जीवोंके भेद साधारणकायिक जीवका स्वरूप सूक्ष्मकाय और बादरकायका स्वरूप प्रत्येक वनस्पतिके दोन भेद
" सप्रतिष्ठित प्रत्येक और अप्रतिष्ठित
प्रत्येककी पहचान पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चोंके भेद पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चोंके जीव समासके भेद ६९ मनुष्योमें जीव समासके भेद ७०-७१ नारकियों और देवों में जीव समासके भेद ७१ पर्याप्तिके छ भेद पर्याप्तिका स्वरूप निवृत्त्यपर्याप्त और पर्याप्तका स्वरूप . , लब्ध्यपर्याप्तका स्वरूप
७४ अन्तर्मुहूर्त में होनेवाले ६६३३६ भवोंका
खुलासा तथा एक भवकी स्थितिका
आनयन जीवके दस प्राण एकेन्द्रियादि पर्याप्त जीवोंके प्राणोंकी संख्या .
.७८ अपर्याप्त जीवोंके प्राणोंकी संख्या ., ७९ विकलत्रय जीव कहां रहते हैं। ८० मनुष्य लोकसे बाहर रहनेवाले तिर्यञ्चोंकी
स्थिति आदि जलचर जीवोंका आवास भवनवासी और व्यन्तरदेवोंका निवास ज्योतिषी देवोंका निवास
८२
वैमानिक देवोंका निवास नारकियोंका निवास
८३-८४ बादर प्राप्ति तैजस्कायिक और
वायुकायिक जीवोंकी संख्या पृथिवीकायिक आदि जीवोंकी संख्या ८५ सिद्धों और निगोदिया जीवोंकी संख्या ८६ सम्मूर्छन और गर्भज मनुष्योंकी संख्या ,, सान्तरजीव मनुष्य आदिकी संख्यामें अल्पबहुत्व का विचार
८८-९० गोम्मटसारके अनुसार जीवोंकी संख्या. का विधान
९१-९९ नरकोंमें जीवोंकी संख्या भवनत्रिकके देवोंकी संख्यामें अल्प बहुत्व
१०१ एकेन्द्रियजीवोंकी आयुका प्रमाण १०२ दोइन्द्रिय आदि जीवोंकी आयु ,, लब्ध्यपर्याप्तक और पर्याप्तकजीवोंकी __ जघन्य आयुका प्रमाण १०३ देवों और नारकियोंकी उत्कृष्ट और
जघन्य आयुका प्रमाण एकेन्द्रिय जीवोंके शरीरकी जघन्य और ___ उत्कृष्ट अवगाहना
१०५ दोइन्द्रिय आदि जीवोंके शरीरकी उत्कृष्ट __ अवगाहना नारकियोंके शरीरकी ऊंचाई १०८ भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषी देवोंके शरीरकी ऊंचाई
११० कल्पवासी देवोंके शरीरकी ऊंचाई १११ कल्पातीत देवोंके शरीरकी ऊंचाई ११२
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