Book Title: Kartikeyanupreksha
Author(s): Swami Kumar, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 593
________________ (१३) द्रव्यानुयोगतर्कणा-श्री भोजकविकृत मूल श्लोक तथा व्याकरणाचार्य ठाकुरप्रसादजी शर्माकृत हिन्दी अनुवाद । तृतीयावृत्ति । मूल्य-बत्तीस रुपये। (१४) न्यायावतार-महान् तार्किक आचार्य श्री सिद्धसेन दिवाकरकृत मूल श्लोक व जैनदर्शनाचार्य पं० विजयमूर्ति एम० ए० कृत श्री सिद्धर्षिगणिकी संस्कृतटीकाका हिन्दीभाषानुवाद । न्यायका सुप्रसिद्ध ग्रन्थ है। तृतीयावृत्ति । मूल्य-सोलह रुपये। (१५) प्रशमरतिप्रकरण-आचार्य श्री उमास्वातिविरचित मूल श्लोक, श्री हरिभद्रसूरिकृत संस्कृतटीका और पं० राजकुमारजी साहित्याचार्य द्वारा सम्पादित सरल अर्थ सहित वैराग्यका बहुत सुन्दर ग्रन्थ है । द्वितीयावृत्ति । मूल्य-बारह रुपये।। (१६) सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र (मोक्षशास्त्र)-श्री उमास्वातिकृत मूलसूत्र और स्वोपज्ञ भाष्य तथा पं० खूबचन्दजी सिद्धान्तशास्त्रीकृत विस्तृत भाषाटीका । तत्त्वोंका हृदयग्राह्य गम्भीर विश्लेषण । तृतीयावृत्ति । मूल्य-चालीस रुपये। (१७) सप्तभंगीतरंगिणी-श्री विमलदासकृत मूल और पंडित ठाकुरप्रसादजी शर्मा कृत भाषाटीका । न्यायका महत्वपूर्ण ग्रन्थ । चतुर्थावृत्ति । मूल्य-बारह रुपये। (१८) समयसार-आचार्य श्री कुन्दकुन्दाचार्य विरचित महान् अध्यात्म ग्रन्थ । आत्मख्याति, तात्पर्यवृत्ति, आत्मख्याति भाषावचनिका-इन तीन टीकाओं सहित तथा पं० पन्नालालजी साहित्याचार्य द्वारा सम्पादित । चतुर्थावृत्ति । मूल्य-चुमालीस रुपये। (१९) इष्टोपदेश-मात्र अंग्रेजी टीका व पद्यानुवाद । मूल्य-तीन रुपये। (२०) परमात्मप्रकाश-मात्र अंग्रेजी प्रस्तावना व मूल गाथाएँ । मूल्य-पाँच रुपये। (२१) योगसार-मूल गाथाएँ व हिन्दी सार । मूल्य-पचहत्तर पैसे । (२२) कार्तिकेयानुप्रेक्षा-मूल गाथाएँ और अंग्रेजी प्रस्तावना । मूल्य-दो रुपये पचास पैसे । (२३) प्रवचनसार-अंग्रेजी प्रस्तावना, प्राकृत मूल, अंग्रेजी अनुवाद तथा पाठांतर सहित । मूल्य-पाँच रुपये। (२४) क्रियाकोष-कवि किशनसिंहकृत हिन्दी काव्यमय रचना । श्रावककी त्रेपन क्रियाओंका सुंदर वर्णन । श्रावकाचारका उत्तम ग्रंथ । डॉ.पं.पन्नालालजी साहित्याचार्यकृत हिन्दी भावार्थ सहित । द्वितीयावत्ति । मूल्य-उनतालीस रुपये। (२५) तत्त्वसार-श्री देवसेनाचार्यविरचित ध्यानका उत्तम ग्रंथ। श्री कमलकीर्तिकृत संस्कृत टीका; हिन्दी अनुवादक तथा संपादक : पं. हीरालालजी सिद्धांतशास्त्री, साढुमल तथा गुर्जरभाषानुवाद सहित। प्रथम आवृत्ति । मूल्य-बीस रुपये। (२६) अष्टप्राभृत-श्री कुन्दकुन्दाचार्य विरचित मूल गाथाओंपर श्री रावजीभाई देसाई द्वारा गुजराती गद्यपद्यात्मक भाषान्तर । द्वितीयावृत्ति । मूल्य-सोलह रुपये। (२७) आत्मानुशासन-श्री गुणभद्राचार्यरचित संस्कृत ग्रंथ पर श्री रावजीभाई देसाई द्वारा लिखित गुजराती भाषामें अर्थ और विवेचन । धर्म और नीतिका एक महत्वपूर्ण ग्रंथ । तृतीयावृत्ति । मूल्य-बीस रुपये। अधिक मूल्यके ग्रन्थ मँगानेवालोंको कमिशन दिया जायेगा। इसके लिये वे हमसे पत्रव्यवहार करें। : प्राप्तिस्थान : १. श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, २. श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, स्टेशन-अगास; वाया-आणंद; (श्रीमद राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला) पोस्ट-बोरिया-३८८१३० हाथी बिल्डींग, 'ए' ब्लॉक, दूसरी मंजिल, रूम नं. १८, भांगवाडी, ४४८ कालबादेवी रोड, (गुजरात) बम्बई-४००००२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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