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३४. प्रश्न : यह जीव गुणस्थानों में किस क्रम से चढ़ता-उतरता
उत्तर : मिथ्यादृष्टि गुणस्थान भूमिका स्वरूप है। अनादि मिथ्यादृष्टि
जीव करणलब्धि के प्रभाव से सम्यक्त्वघातक प्रकृतियों के उपशम से चतुर्थ गुणस्थान में जाते हैं। सादि मिथ्यादृष्टि जीव सम्यक्त्व प्रकृति के उदय से चतुर्थ गुणस्थान में जाते
सादि मिथ्यादृष्टि जीव सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृति के उदय से तीसरे गुणस्थान में जाते हैं। सादि मिथ्यादृष्टि जीव सम्यक्त्व एवं पाँच पापों के एकदेशत्यागरूप परिणाम से देशविरत गुणस्थान में जाते
हैं।
सादि मिथ्यादृष्टि सम्यक्त्व एवं प्रत्याख्यानावरण चतुष्क के अनुदय से होने वाले चारित्ररूप परिणाम से अप्रमत्तविरत गुणस्थान में जाते हैं। इस कथन से यह प्रतिफलित होता है कि मिथ्यादृष्टि
जीव सासादन और प्रमत्तविरत को छोड़कर अप्रमत्तविरत · पर्यन्त चार गुणस्थानों को प्राप्त हो सकते हैं।
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