Book Title: Karananuyoga Part 1
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 25
________________ चढने की अपेक्षा अनन्तर ऊपर के गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। क्षपक श्रेणी वाले दसवें गुणस्थानवी जीव नियम से बारहवें गुणस्थान को प्राप्त होते हैं और वहाँ से क्रम से आगे के गुणस्थानों को प्राप्त होते हुए मोक्ष को प्राप्त करते हैं। ३५. प्रश्न : उपशम श्रेणी किसे कहते हैं और उसे कौन जीव प्राप्त करते हैं ? उत्तर : चारित्रमोहनीय का उपशम करने के लिए जो श्रेणी मांडी जाती है उसे उपशम श्रेणी कहते हैं। इसे द्वितीयोपशम सम्यग्दृष्टि तथा क्षायिक सम्यग्दृष्टि दोनों मांड सकते हैं। अधःकरण परिणामों से श्रेणी का प्रारंभ होता है। इस श्रेणी वाले जीव अधःकरण, अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण और सूक्ष्म-साम्पसय गुणस्थानों को कम से प्राप्त करते हुए सूक्ष्मसाम्पराय के अन्त में चारित्रमोह का बिलकुल उपशम कर चुकते हैं और उसके बाद ग्यारहवें उपशान्त मोह गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। वहाँ से क्रमपूर्वक गिरकर नीचे आते हैं। द्वितीयोपशम सम्यग्दृष्टि जीव ११वें गुणस्थान से गिरते हुए (२०)

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