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२०५. प्रश्न: देवों में कौन-कौन सी भाव लेश्या होती है ? उत्तर : भवनत्रिक देवों में पीत लेश्या का जघन्य अंश, सौधर्म - ईशान स्वर्ग के देवों में पीत लेश्या का मध्यम अंश, सानत्कुमार- माहेन्द्र स्वर्ग के देवों में पीत लेश्या का उत्कृष्ट अंश और पद्म लेश्या का जघन्य अंश, ब्रह्म ब्रह्मोत्तर, लांतव- कापिष्ट और शुक्र महाशुक्र स्वर्ग के देवों में पद्म लेश्या का मध्यम अंश, शतार - सहस्रार स्वर्ग के देवों में पद्म लेश्या का उत्कृष्ट अंश, और शुक्ल लेश्या का जघन्य अंश, आनत-प्राणत, आरण- अच्युत तथा नौ ग्रैवेयक के देवों में शुक्ल लेश्या का मध्यम अंश, नौ अनुदिश और पाँच अनुत्तर देवों में शुक्ल लेश्या का उत्कृष्ट अंश और भवनवासी आदि तीन देवों के अपर्याप्त अवस्था में तीन अशुभ लेश्याएं होती हैं।
२०६. प्रश्न: मनुष्यों में कौन-कौन सी भाव लेश्या होती है ? उत्तर : चतुर्थ गुणस्थान पर्यन्त मनुष्यों में छहों लेश्याएँ, देशविरत, प्रमत्तविरत और अप्रमत्तविरत गुणस्थानवर्ती मनुष्यों में तीन शुभ लेश्याएँ तथा अपूर्वकरण से सयोगकेवली पर्यन्त मनुष्यों में एक शुक्ल लेश्या ही होती है। भोगभूमि में सम्यग्दृष्टि अथवा मिथ्यादृष्टि मनुष्यों के पर्याप्त अवस्था
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