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२४०. प्रश्न : अविभागी पुद्गल परमाणु स्कन्ध रूप में किस
तरह परिणत होते हैं ? उत्तर : किसी एक गुण विशेष की स्निग्धत्व और रूक्षत्व ये दो
पर्यायें हैं। ये ही बन्ध की कारण हैं। अविभागी प्रतिच्छेदों की (शक्ति के निरंश अंश) अपेक्षा इन पर्यायों के एक से लेकर संख्यात, असंख्यात, अनन्त भेद हैं। बन्ध कम-से-कम दो परमाणुओं में होता है। सो ये दोनों परमाणु स्निग्ध हो अथवा रूक्ष हों अथवा एक स्निग्ध और एक रूक्ष हों तब बन्ध हो सकता है। स्निग्ध व रूक्ष दोनों में ही दो गुण के ऊपर जहाँ दो-दो की वृद्धि होती है वौँ (दो गुणवाले स्निग्ध या रूक्ष का चार गुणवाले स्निग्ध या रूक्ष के साथ तथा तीन गुणवाले स्निग्ध या रूक्ष का पाँच गुणवाले स्निग्ध या रूक्ष के साथ) बन्ध होता है, किन्तु जघन्य गुणवाले (एक निरंश अंश) परमाणुओं का बन्ध नहीं होता है। अधिक गुणवाला परमाणुहीन गुणवाले को अपने
रूप परिणमा लेता है। २४१. प्रश्न : अस्तिकाय किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद हैं ? उत्तर : जो सद्प हो उसे अस्ति कहते हैं और जिसके प्रदेश
अनेक हों उसे काय कहते हैं। काय के दो भेद हैं- (१)
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