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हैं जैसे पृथ्वी, काष्ठ, पाषाण आदि । (२) जिसका छेदन-भेदन न हो सके, किन्तु अन्यत्र प्रापण हो सके उस स्कन्ध को बादर कहते हैं, जैसे जल, तैल आदि। (३) जिसका छेदन-भेदन एवं अन्यत्र प्रापण कुछ भी न हो सके, ऐसे नेत्र से देखने योग्य स्कन्ध को बादरसूक्ष्म कहते हैं, जैसे छाया, आतप, चाँदनी आदि। (४) नेत्र को छोड़कर शेष चार इन्द्रियों के विषयभूत पुद्गल स्कन्ध को सूक्ष्म स्थूल कहते हैं, जैसे शब्द, गन्ध, रस आदि। (५) जिसका किसी इन्दिरा के द्वारा राहत न हो के पार पुगत रणध को सूक्ष्म कहते हैं, जैसे कर्म । (६) जो स्कन्ध रूप नहीं है, ऐसे अविभागी पुद्गल परमाणुओं को सूक्ष्म-सूक्ष्म कहते
२३६. प्रश्न : स्कन्ध, स्कन्ध देश, स्कन्य-प्रदेश और परमाणु
किसे कहते हैं? उत्तर : जो सर्वाश में पूर्ण है, उसे स्कन्ध कहते हैं। स्कन्ध के
आधे को स्कन्ध-देश कहते हैं। स्कन्ध-देश के आधे को स्कन्ध-प्रदेश कहते हैं। जो अविभागी है, उसे परमाणु कहते हैं।
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