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योग मार्गणा की अपेक्षा सयोग जीवों के तीनों सम्यक्त्व होते हैं और योगरहित जीवों के एक क्षायिक सम्यग्दर्शन हो होता है। वेद मागंगा को अपेक्षा सवेद जीवों के तीनों सम्यक्त्व और अवेद जीवों के औपशमिक (द्वितीयोपशम) तथा क्षायिक दो सम्यक्त्व होते हैं। कषाय मार्गणा की अपेक्षा सकषाय जीवों के तीनों सम्यक्त्व और अकषाय जीवों के औपशमिक ( द्वितीयोपशम) तथा क्षायिक दो सम्यक्त्व होते हैं।
ज्ञानमार्गणा की अपेक्षा मति श्रुत-अवधि और मन:पर्यय ज्ञानियों के तीनों सम्यक्त्व तथा केवलज्ञानियों के एक क्षायिक सम्यक्त्व ही होता है। संयममार्गणा की अपेक्षा सामायिक, छेदोपस्थापना और परिहारविशुद्धि इन तीन संयमों के धारक जीवों के तीनों (परिहार विशुद्धि वाले के उपशम सम्यक्त्व - प्रथमोपशम को छोड़कर) सम्यक्त्व, सूक्ष्मसाम्पराय और औपशमिक - यथाख्यात वालो के औपशमिक ( द्वितीयोपशम ) और क्षायिक सम्यक्त्व होता है तथा क्षायिक यथाख्यात वालों के एक क्षायिक सम्यक्त्व ही होता है । दर्शनमार्गणा की अपेक्षा चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन और अवधिदर्शन वालों के तीनों सम्यक्त्व तथा केवल दर्शन वालों के एक क्षायिक सम्यक्त्व ही होता है। लेश्यामार्गणा की अपेक्षा सलेश्य जीवों के तीनों सम्यक्त्व और अलेश्य (१३७)