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आहारमार्गणा की अपेक्षा आहारक जीव में प्रारम्भ के तेरह गुणस्थान और अनाहारक जीव में प्रथम, द्वितीय और चतुर्थ गुणस्थान तथा समुद्घात की अपेक्षा तेरहवाँ और चौदह इस प्रकार पाँच गुणस्थान होते हैं।
सिद्ध परमेष्ठी में सिद्धगति, केवलज्ञान, केवलदर्शन, क्षायिक सम्यक्त्व और अनाहारक मार्गणाओं को छोड़कर शेष मार्गणाओं का अभाव होता है
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