Book Title: Karananuyoga Part 1
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 147
________________ आहारमार्गणा की अपेक्षा आहारक जीव में प्रारम्भ के तेरह गुणस्थान और अनाहारक जीव में प्रथम, द्वितीय और चतुर्थ गुणस्थान तथा समुद्घात की अपेक्षा तेरहवाँ और चौदह इस प्रकार पाँच गुणस्थान होते हैं। सिद्ध परमेष्ठी में सिद्धगति, केवलज्ञान, केवलदर्शन, क्षायिक सम्यक्त्व और अनाहारक मार्गणाओं को छोड़कर शेष मार्गणाओं का अभाव होता है (१४२)

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