Book Title: Karananuyoga Part 1
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 132
________________ अथवा ३०० अथवा ३०४ है। क्षपक श्रेणी वाले आठवें, नौवें, दसवें, बारहवें गुणस्थानवर्ती संयत जीवों का प्रमाण उपशम-श्रेणी वालों से दुगुना अर्थात् ५६८ अथवा ६०० अथवा ६०८ है। सयोगकेवली जिनों की संख्या आठ लाख अट्टानवे हजार पाँच सौ दो (८,६८,५०२) है। अयोगकेवली जिनों की संख्या ५९८ अथवा ६०० अथवा ६०८ है। इस प्रकार समस्त संयत जीवों की संख्या तीन कम नौ करोड़ (८,६६,६६,५६३) है। अर्थात् प्रमलावरत गुणस्थान से चौदहवें गुणस्थान पर्यन्त सर्व संयमियों का प्रमाण तीन कम नौ करोड़ है (श्रेणीस्थित जीवों की संख्या २E६ मानने से)। २४५. प्रश्न : निरन्तर आठ समय पर्यन्त उपशम श्रेणी और क्षपक श्रेणी मांडने वाले जीवों का प्रमाण कितना है ? उत्तर : निरन्तर आठ समय पर्यन्त उपशम श्रेणी मांडने वाले जीवों में प्रथम समय में अधिक से अधिक १६ जीव, द्वितीय समय में २४ जीव, तृतीय समय में ३० जीव, चतुर्थ समय में ३६ जीव, पाँचवें समय में ४२ जीव, छठे समय में ४८ जीव, सातवें समय में ५४ जीव और आठवें (१२७)

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