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प्राप्त हुआ, इसमें जितना काल लगे उतने कालसमुदाय को एक काल परिवर्तन कहते हैं।
२२१. प्रश्न : भय परिवर्तन किसे कहते हैं ?
उत्तर : कोई जीव दस हजार वर्ष के जितने समय हैं उतनी बार जघन्य दस हजार वर्ष की आयु से प्रथम नरक में उत्पन्न हुआ, पीछे एक-एक समय के अधिक क्रम से नरकगति सम्बन्धी तैंतीस सागर की उत्कृष्ट आयु को उसने क्रम से पूर्ण किया, पश्चात् अन्तर्मुहूर्त के जिसने समय हैं उतनी बार जघन्य अन्तर्मुहूर्त की आयु से तिर्यंचगति में उत्पन्न होकर यहाँ पर भी नरकगांत के सदृश एक-एक समय के अधिक क्रम से तिर्यंचगति सम्बन्धी तीन पल्य की उत्कृष्ट आयु को पूर्ण किया, पश्चात् तिर्यंचगति के सदृश्य मनुष्यगति को पूर्ण किया, क्योंकि मनुष्यगति में भी जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त तथा उत्कृष्ट आयु तीन पल्य है। मनुष्यगति के बाद दस हजार वर्ष के जितने समय हैं, उतनी बार जघन्य दस हजार वर्ष की आयु से देवगति में उत्पन्न होकर पीछे एक-एक समय के अधिक क्रम से इकतीस सागर की आयु को पूर्ण किया क्योंकि मिथ्यादृष्टि देव की उत्कृष्ट आयु इकतीस सागर तक ही होती है। इस क्रम से चारों गतियों में भ्रमण करने में जितना काल लगे, (११३)