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२०६. प्रश्न : लेश्याओं का जघन्य और उत्कृष्ट काल कितना है ? उत्तर : एक जीव की अपेक्षा सम्पूर्ण लेश्याओं का जघन्य काल
अन्तर्मुहूर्त है। एक जीव की अपेक्षा कृष्णलेश्या का उत्कृष्ट काल कुछ अधिक तैंतीस सागर, नीललेश्या का कुछ अधिक मत्रह सागर, कापोतलेश्या का कुछ अधिक सात सागर, पीतलेश्या का कुछ अधिक दो सागर, पद्मलेश्या का कुछ अधिक अठारह सागर और शुक्ललेश्या का कुछ
अधिक तैंतीस सागर है। २१०. प्रश्न : कौन-सी लेश्या किस गुणस्थान तक होती है ? उत्तर : प्रथम गुणस्थान से लेकर चतुर्थ गुणस्थान पर्यन्त छहों
लेश्याएँ होती हैं। प्रथम से सप्तम् गुणस्थान पर्यन्त तीन शम लेश्याएँ एवं प्रथम से तेरहवें गुणस्थान पर्यन्त शुक्ल
लेश्या होती है। २११. प्रश्न : कषायोदय की अनुरंजना के बिना ग्यारहवें से
तेरहवें गुणस्थान पर्यन्त लेश्या का लक्षण कैसे घटित
होता है ? उत्तर : भूतपूर्व प्रज्ञापन नय की अपेक्षा वहाँ की योगप्रवृत्ति में
ऐसा व्यवहार होता है कि यह वही योग-प्रवृत्ति है जो पहले कषायोदय से अनुरंजित थी। इस व्यवहार से वहाँ
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