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दुःख
को प्राप्त होते हैं, उसे संज्ञा कहते हैं। इसके चार भेद हैं- १. आहार, २. भय, मैथुन और ४ परिग्रह ।
७३. प्रश्न: आहार संज्ञा किसे कहते हैं ?
उत्तर : अन्तरंग में असातावेदनीय कर्म की उदीरणा होने से तथा बास्य में आहार देखने से अथवा उस और उपयोग जाने से अथवा पेट खाली होने से जीव को जो आहार की इच्छा होती है उसे आहार संज्ञा कहते हैं।
७४.
प्रश्न : भय संज्ञा किसे कहते हैं ?
उत्तर : अंतरंग में भय नोकषाय की उदीरणा होने से तथा बाह्य में भयोत्पादक वस्तु देखने से अथवा पहले देखे हुए भयंकर पदार्थ के स्मरणादि से अथवा शक्ति के हीन होने पर उस जीव के हृदय में जो भय उत्पन्न होता है, उसे भय संज्ञा कहते हैं।
७५. मैथुन संज्ञा किसे कहते हैं ?
उत्तर : अन्तरंग में वेद नोकषाय की उदीरणा होने से और बाह्य में कामोत्तेजक स्वादिष्ट और गरिष्ठ रसयुक्त पदार्थों का भोजन करने से अथवा कामकथा, नाटक आदि के सुनने से अथवा पहले के मुक्त विषयों का स्मरण करने से
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