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की अपेक्षा सूक्ष्म निगोदिया लब्ध्यपर्याप्तक जीव के उत्पन्न होने के तृतीय समय में जमन्य अवसाहत होती है, उतने प्रमाण क्षेत्र को जानता है। काल की अपेक्षा, आवली के असंख्यातवें भाग प्रमाण भूत-भविष्यत सम्बन्धी द्रव्य की व्यंजन-पर्यायों को जानता है। भाय की अपेक्षा जितनी पर्यायों को काल की अपेक्षा जानता है उसके असंख्यातवें भाग प्रमाण वर्तमान काल की पर्यायों को
जानता है। १६२. प्रश्न : उत्कृष्ट देशावधिज्ञान का द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव
की अपेक्षा कितना विषय है ? । उत्तर : कार्मणवर्गणा में एक बार ध्रुवहार का भाग देने से जो
लब्ध प्राप्त हो उतने सूक्ष्म द्रव्य को उत्कृष्ट देशावधिज्ञान जानता है। क्षेत्र की अपेक्षा सम्पूर्ण लोक को जानता है। काल की अपेक्षा एक समय कम एक पल्य की बात को जानता है। भाव की अपेक्षा असंख्यात लोकप्रमाण द्रव्य
की पर्यायों को जानता है। १६३. प्रश्न : जघन्य परमावथि झान का द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव
की अपेक्षा कितना विषय है ? | उत्तर : देशावधि का जो उत्कृष्ट द्रव्यप्रमाण है, उसमें एक बार ध्रुवहार का भाग देने पर जो लब्ध प्राप्त हो उतना ही
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