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१८० प्रश्न : सामायिक संयम किसे कहते हैं ?
उत्तर : संयम में संग्रह नय की अपेक्षा से भेद रहित होकर अर्थात् अभेद रूप से "मैं सर्वसावद्य का त्यागी हूँ" इस तरह से सम्पूर्ण सावद्य का त्याग करना सामायिक संयम है। १८१. प्रश्न: छेदोपस्थापना संयम किसे कहते हैं ?
उत्तर : छेद अर्थात् अहिंसादि महाव्रत के विकल्पपूर्वक अपने आपको संयम में उपस्थित करना अथवा छंद अर्थात् सामायिक चारित्र से च्युत होने पर अपने आपको फिर से उसी में उपस्थित करना छेदोपस्थापना संयम कहलाता है
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१८२. प्रश्न: परिहारविशुद्धि संयम किसे कहते हैं ? उत्तर : जिस संयम में जीवहिंसा के परिहार के साथ विशिष्ट प्रकार की विशुद्धता होती है उसे परिहारविशुद्धि संयम कहते हैं। जो जन्म से लेकर तीस वर्ष तक सुखी रहकर दीक्षा लेते हैं और तीर्थंकर के पादमूल में आठ वर्ष तक प्रत्याख्यानापूर्व का अध्ययन करते हैं, ऐसे मुनि के यह परिहारविशुद्धि संयम प्रकट होता है। उनके शरीर से किसी जीव का विघात नहीं होता है। इस संयम वाले जीव तीन संध्याकालों को छोड़कर प्रतिदिन दो कोस बिहार करते हैं, रात्रि को गमन नहीं करते हैं। इनके वर्षाऋतु में (€4)