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इन छहों राशियों को संसारी जीवराशि में से घटाने पर
जो शेष रहे उतना असंयमियों का प्रमाण है। १८८. प्रश्न : दर्शन किसे कहते हैं ? उत्तर : सामान्य-विशेषात्मक पदार्थ के विशेष अंश को ग्रहण न
करके सामान्य अंश का जो निर्विकल्प ग्रहण होता है, उसे दर्शन कहते हैं। कोई आचार्य सामान्य का अर्थ आत्मा करते हैं, अतः उनके अभिप्राय से आत्मावलोकन को
दर्शन कहते हैं। १८६. प्रश्न : दर्शन मार्गणा के कितने भेद हैं ? उत्तर : दर्शन मार्गणा के चार भेद हैं- (१) चक्षुदर्शन,
(२) अचक्षुदर्शन, (३) अवधिदर्शन और (४) केवलदर्शन। १६०. प्रश्न : चक्षुदर्शन किसे कहते हैं ? उत्तर : चक्षु इन्द्रिय से होने वाले ज्ञान के पहले पदार्थ का जो
सामान्य प्रतिभास होता है, उसे चक्षुदर्शन कहते हैं। १६१. प्रश्न : अचक्षुदर्शन किसे कहते हैं ? उत्तर : चक्षु इन्द्रिय के सिवाय अन्य इन्द्रियों और मन से होने
वाले ज्ञान के पूर्व पदार्थ का जो सामान्य प्रतिभास होता है, उसे अचक्षुदर्शन कहते हैं।
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