________________
का पालन होता है। इसके दर्शन प्रतिमा आदि ग्यारह भेद हैं। इस देशसंवम के द्वारा जीवों के असंख्यात गुणी कर्मों की निर्जरा होती है।
१८६. प्रश्न : असंयम किसे कहते हैं ?
उत्तर : जहाँ त्रस, स्थावर जीवों की हिंसा तथा पाँच इन्द्रियों के
विषयों के त्याग का भाव नहीं होता है, उसे असंयम कहते हैं। यह प्रारम्भ से चतुर्थ गुणस्थान तक होता है। मिथ्यादृष्टि असंयत की अपेक्षा सम्यग्दृष्टि असंयत की
प्रवृत्ति में बहुत अन्तर होता है। १८७. प्रश्न : सामायिक आदि संयमी जीवों का पृथक्-पृथक्
कितना प्रमाण है ? उत्तर : प्रमत्तादि चार गुणस्थानवी जीवों का जितना प्रमाण है
[आठ करोड़ नब्बे लाख निन्यानवे हजार एक सौ तीन (८,०,६६,१०३)] उतने सामायिक संयमी होते हैं और उतने ही छोदोपस्थापना संयमी होते हैं। परिहारविशुद्धि संयमी तीन कम सात हजार (६,६६७) होते हैं। सूक्ष्मसाम्पराय संयमी तीन कम नौ सौ (८६७) होते हैं। यथाख्यातसंयमी तीन कम नौ लाख (८,६६,६६७) होते हैं। देश-संयमी पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण होते हैं।
(६७)