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परमावधि के जघन्य द्रव्य का प्रमाण है। देशावधि के उत्कृष्ट क्षेत्र को असंख्यात (आवली के असंख्यातवें भाग) से गुणा करने पर परमावधि का जघन्य क्षेत्र प्रमाण प्राप्त होता है। उत्कष्ट देशावधि के काल को असंख्यात से गुणा करने पर जो लब्ध प्राप्त हो, तत्प्रमाण परमावधि का जघन्य काल होता है। उत्कृष्ट देशावधि के भाव का जो प्रमाण है उसे आवली के असंख्यातवें भाग से गुणित करने पर जघन्य परमावधि का भाव-प्रमाण प्राप्त होता है, क्योंकि देशावधि के जघन्य द्रव्य की पर्यायरूप भाव जघन्य देशावधि से सर्वावधि पर्यन्त आवली के असंख्यातवें भाग से गुणितक्रम है। अतः भाव की अपेक्षा पूर्व भेद सम्बन्धी भाव के प्रमाण को आवली के असंख्यातवें भाग से गुणित करने पर उत्तर भेद सम्बन्धी भाव का प्रमाण
निकलता है। १६४. प्रश्न : उत्कृष्ट परमायधिशन का द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव
की अपेक्षा कितना विषय है ? उत्तर : उत्कृष्ट परमावधि का द्रव्य ध्रुवहार (जो सिद्धराशि के
अनन्तवें भाग प्रमाण और अभव्यराशि से अनन्तगुणा है) प्रमाण है। क्षेत्र असंख्यात लोक प्रमाण है। काल असंख्यात लोकों के प्रदेशों के बराबर समयरूप है। उत्कृष्ट परमावधि
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