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१६०. प्रश्न: अन्य प्रकार से अवधिज्ञान के कितने भेद हैं ? उत्तर : अवधिज्ञान के तीन भेद हैं- (१) देशावधि, ( २ ) परमावधि और ( ३ ) सर्वावधि | देशावधि ज्ञान चारों गतियों में हो सकता है, परन्तु परमावधि और सर्वावधि ज्ञान मनुष्य गति में चरमशरीरी मुनियों के ही होता है, अन्य के नहीं । देशावधिज्ञान प्रतिपाती है, होकर छूट जाता है परन्तु परमावधि और सर्वाविधि अप्रतिपाती है- केवलज्ञान होने के पहले नहीं छूटता है। देशापांधज्ञान अवस्थ और गुणप्रत्यय दोनों तरह का होता है । भवप्रत्यय अवधिज्ञान देशावधि ही होता है । जघन्य देशावधिज्ञान संयत तथा असंयत दोनों ही प्रकार के मनुष्यों तथा देश-संयमी संयतासंयत तियंचों के होता है । उत्कृष्ट देशावधिज्ञान संयत जीवों के ही होता है ।
१६१. प्रश्न: जघन्य देशावधि का द्रव्य-क्षेत्र - काल और भाव की अपेक्षा कितना विषय है ?
सोपचय सहित नोकर्म वर्गणा के संचय में लोक का भाग देने से जो द्रव्य लब्ध प्राप्त हो, उतने द्रव्य को जघन्य देशावधिज्ञान जानता है। इससे छोटे स्कन्ध को वह ग्रहण नहीं कर सकता है। क्षेत्र
उत्तर : मध्यम योग के द्वारा संचित
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