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१७४. प्रश्न : ज्ञानमार्गणा में जीवों की संख्या का प्रमाण कितना है ? उत्तर : ज्ञानमार्गणा में मतिज्ञानियों का अथवा श्रुतज्ञानियों का
प्रमाण पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। मनःपर्ययज्ञानी संख्यात हैं। केवलज्ञानियों का प्रमाण सिद्धराशि से कुछ अधिक है। अवधिज्ञान रहित तिर्यंच मतिज्ञानियों की संख्या के असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं। अवधिज्ञान रहित मनुष्य संख्यात हैं तथा इन दोनों ही राशियों को मतिज्ञानियों के प्रमाण में से घटाने पर जो शेष रहे उतना
अवधिज्ञानियों का प्रमाण है। १७५. प्रश्न : कुमति, कुश्रुत और कुअवधिशान किसे कहते हैं ! उत्तर : मिथ्यादृष्टि जीवों के मति, श्रुत और अवधिज्ञान को क्रम
से कुमति, कुश्रुत और कुअवधिज्ञान कहते हैं। १७६. प्रश्न : कौन-कौन सा शान किस गुणस्थान से किस
गुणस्थान पर्यन्त होता है ? उत्तर : कुमति, कुश्रुत और कुअवधिज्ञान प्रथम और दूसरे
मुणस्थान में होता है। तीसरे गुणस्थान में मिश्र रूप ज्ञान होता है। मति, श्रुत और अवधिज्ञान चतुर्थ से बारहवें गुणस्थान पर्यन्त होता है; मनःपर्ययज्ञान छठे से बारहवें गुणस्थान पर्यन्त होता है। केवलज्ञान तेरहवें और चौदहवें
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