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(२) ईहा : अवग्रह के द्वारा जाने हुए पदार्थ को विशिष्ट रूप से जानने की चेष्टा होना ईहा ज्ञान है। जैसे यह मनुष्य दाक्षिणात्य होना चाहिए। (३) अवाय : ईहा ज्ञान के द्वारा जाने हुए पदार्थ का निर्णयात्मक ज्ञान होना अवाय कहलाता है। जैसे "मनुष्य दाक्षिणात्य ही है।" (४) धारणा : अवाय के द्वारा जाने हुए पदार्थ को कालान्तर में न भूलने वाले ज्ञान को धारणा कहते हैं। जैसे-मैंने दाक्षिणात्य मनुष्य को देखा था। अस्पष्ट- प्राप्त या व्यंजन पदार्थ का सिर्फ अवग्रह ज्ञान
होता है। स्पष्ट पदार्थ के चारों ज्ञान होते हैं। १४८. प्रश्न : मतिज्ञान के विषयभूत पदार्थ की अपेक्षा कितने
भेद होते हैं ? उत्तर : मतिज्ञान के विषयभूत पदार्थ की अपेक्षा बारह भेद हैं।
(१) बहु : एक जाति के बहुत पदार्थों को बहु कहते हैं। जैसे- गेहूँ की राशि का ज्ञान । (२) बहुविध : अनेक जाति के बहुत पदार्थों को बहुविध कहते हैं। जैसे- गेहूँ, चना, चावल आदि की राशियों का ज्ञान । (३) अल्प : एक जाति के एक, दो पदार्थ को अल्प कहते हैं। जैसे
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