Book Title: Karananuyoga Part 1
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 49
________________ ८१. प्रश्न : अन्तर-विच्छेद किसे कहते है ? उत्तर : किसी भी विवक्षित गुणस्थान या मार्गणा स्थान को छोड़कर पुनः उसी को प्राप्त करने में जीव को बीच में जो समय लगता है उसको अन्तर विच्छेद या विरह कहते हैं। ५२. प्रश्न : नाना जीवों की अपेक्षा आठ सान्तर मार्गणाओं का उत्कृष्ट और जघन्य विरह-काल कितना है ? उत्तर : नाना जीवों की अपेक्षा उपशम सम्यक्त्व का उत्कृष्ट विरह-काल सात दिन, सूक्ष्मसाम्पराय का छह महीना, आहारक काययोग और आहारक मिश्रकाययोग का पृथक्त्व वर्ष, वैक्रियिक मिश्र, काययोग का बारह मुहूर्त, लब्ध्यपर्याप्तक मनुष्य, सासादन सम्यक्त्व और मिश्र का उत्कृष्ट विरह काल पल्य का असंख्यातवाँ भाग है। सान्तर मार्गणाओं का जघन्य विरह-काल एक समय है। ८३. प्रश्न : गति मार्गणा किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद उत्तर : गति नामकर्म के उदय से प्राप्त हुई जीव की अवस्था विशेष को गति कहते हैं। गति के चार भेद हैं१. नरकगति, २. तिथंचगति, ३. मनुष्यगति और ४. देवगति।

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