Book Title: Karananuyoga Part 1
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 68
________________ वाले आरण और अच्युत स्वर्ग के ऊपर के विमानों में रहने वाले देवों के होता है। आहारक शरीर का उत्कृष्ट संचय आहारक, शरीर का सधान करने वाले प्रमाविरत के होता है। तैजस शरीर का उत्कृष्ट संचय सप्तम् पृथिवी में दूसरी बार उत्पन्न होने वाले जीव के होता है। काणि शरीर का उत्कृष्ट संचय अनेक बार नरकों में भ्रमण करके सप्तम् पृथिवी में उत्पन्न होने वाले जीव के होता है। १२६. प्रश्न : कर्मों का उत्कृष्ट संचय करने में क्या-क्या कारण उत्तर : कर्मों का उत्कृष्ट संचय करने में छह आवश्यक कारण होते हैं। (१) भवाद्धा (२) आयुष्य (३) योग (४) संक्लेश (५) अपकर्षण और (६) उत्कर्षण। १३०. प्रश्न : मदाद्या किसे कहते हैं ? उत्तर : भव-पर्याय सम्बन्धी काल (स्थिति) को भवादा कहते हैं। १३१. प्रश्न : अपकर्षण किसे कहते हैं ? उत्तर : कर्मप्रदेशों की स्थिति और अनुभाग के अपवर्तन अर्थात् घटने को अपकर्षण कहते हैं। (६३)

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