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एवं सन्देह - निवारण के लिए मस्तक से धातु एवं संहनन से रहित, समचतुरस्त्र संस्थान युक्त एक हाथ का सफेद रंग का जो पुतला निकलता है, उसे आहारक शरीर कहते हैं ।
१२३. प्रश्न: तैजस और कार्माण शरीर किसे कहते हैं ? उत्तर: जिसके निमित्त से औदारिक आदि शरीरों में विशिष्ट प्रकार का तेज होता है, उसे तैजस शरीर कहते हैं। कर्मों के समूह को कार्माण शरीर कहते हैं।
१२४. प्रश्न: देवों और नारकियों के शरीरों के अतिरिक्त किन-किन शरीरों में विक्रिया हो सकती है ?
उत्तर : बादर तेजस्कायिक और वायुकायिक तथा संज्ञी पर्याप्त पंचेन्द्रिय तिर्यंच एवं मनुष्य तथा भोगभूमिज तिर्यंच और मनुष्य अपने औदारिक शरीर के द्वारा अपृथक् विक्रिया कर सकते हैं परन्तु भोगभूमिज तिर्यंच और मनुष्य तथा चक्रवर्ती पृथक् विक्रिया भी कर सकते हैं।
१२५. प्रश्न: तैजस शरीर के कितने भेद हैं ?
उत्तर : तैजस शरीर के दो भेद हैं- (१) निस्सरणात्मक और (२) अनिस्सरणात्मक; निस्सरण तैजस शरीर छठे गुणस्थानवर्ती
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