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को और मिथ्यात्व के उदय से प्रथम गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। पंचम गुणस्थानवी जीव प्रत्याख्यानावरण चतुष्क के अनुदय से सप्तम् गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। ये नीचे के चारों गुणस्थानों को भी प्राप्त हो सकते हैं। षष्ठ गुणस्थानवी जीव नीचे के पाँच गुणस्थानों को प्राप्त होते हैं परन्तु ऊपर के अप्रमत्तविरत गुणस्थान पर्यन्त जाते हैं, आगे नहीं। सप्तम् गुणस्थानवी जीव अपूर्वकरण को, छठे गुणस्थान को और मरण की अपेक्षा देवगति सम्बन्धी चतुर्थ गुणस्थान (इस प्रकार तीन गुणस्थानों) को प्राप्त होते हैं। उपशम श्रेणी वाले आठवें, नौवें एवं दसवें गुणस्थानवर्ती जीव चढ़ने की अपेक्षा अनन्तर ऊपर के, गिरने की अपेक्षा अनन्तर नीचे के और मरण की अपेक्षा देवगति सम्बन्धी चतुर्थ गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। ग्यारहवें गुणस्थानवी जीव गिरने की अपेक्षा दसवें और मरण की अपेक्षा चौथे गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। क्षपकश्रेणी वाले आठवें और नौवें गुणस्थानवी जीव
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