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सासादन गुणस्थानवी जीव ऊपर के किसी गुणस्थान को प्राप्त नहीं होते हैं। ये जीव नियम से मिथ्यात्वगुणस्थान को ही प्राप्त होते हैं। मिश्र गुणस्थानवी जीव सम्यक्त्वं प्रकृति के उदय से चतुर्थ गुणस्थान को प्राप्त होते हैं, तो मिथ्यात्व प्रकृति के उदय से मिथ्यात्व गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। अविरतसम्यक्त्व गुणस्थानवर्ती उपशम सम्यग्दृष्टि जीव सम्यक्त्व प्रकृति के उदय से वेदक सम्यक्त्व को प्राप्त करते हैं। वेदक सम्यग्दृष्टि जीव अनन्तानुबन्धी का विसंयोजन और दर्शनमोहनीय की तीन प्रकृतियों का अर्थात् सात प्रकृतियों का क्षय होने पर क्षायिक सम्यक्त्व को प्राप्त होते हैं। चतुर्थ गुणस्थानवी जीव अप्रत्याख्यानावरण चतुष्क के अनुदय से पंचम गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। चतुर्थ गुणस्थानवी जीव प्रत्याख्यानावरण चतुष्क के अनुदय से सप्तम् गुणस्थान को प्राप्त होते हैं। चतुर्थ गुणस्थानवी जीव मिश्रप्रकृति के उदय से तीसरे गुणस्थान को, अनन्तानुबन्धी के उदय से दूसरे गुणस्थान
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