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३६. प्रश्न : कृतकृत्ययेदक सम्यग्दृष्टि जीव मरकर कहाँ-कहाँ
उत्पन्न होते है ? उत्तर : कृतकृत्यवेदक सम्यक्त्व का काल अन्तर्मुहूर्त है। उसके
चार भागों में से पहले भाग में मरे हुए जीव देवों में, दूसरे भाग में मरे हुए जीव देवों और मनुष्यों में, तीसरे भाग में मरे हुए जीव देव, मनुष्य और तिर्यचों में तथा चौथे भाग में मरे हुए जीव चारों गतियों में से किसी भी गति में
उत्पन्न होते हैं। ४०. प्रश्न : जीवसमास किसे कहते हैं ? उत्तर : जिन धर्मविशेषों के द्वारा अनेक जीवों तथा उनकी अनेक
जातियों का संग्रह किया जा सके, ऐसे धर्म विशेषों को
जीवसमास कहते हैं। ४१. प्रश्न : जीवसमास के कितने भेद हैं ? उत्तर :जीवसमास के अनेक भेद हैं परन्तु उनमें १४ भेद, ५७
भेद और ६८ भेद अधिक प्रसिद्ध है। ४२. प्रश्न : जीवसमास के चौदह भेद कौन-कौन से है ? उत्तर : एकेन्द्रिय के दो भेद -बादर और सूक्ष्म, विकलत्रय के तीन ।
भेद - द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रय, पंचेन्द्रिय के दो भेद-सैनी असैनी; इस तरह इन सातों ही प्रकार के जीवों
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