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६४. प्रश्न: भाषापर्याप्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर : भाषा वर्गणा के स्कन्धों के निमित्त से चार प्रकार की भाषा रूप से परिणमन करने की शक्ति की निमित्तभूत नोकर्म पुद्गलप्रचय की प्राप्ति को भाषापर्याप्ति कहते हैं। यह पर्याप्ति भी श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति के पश्चात् एक अन्तर्मुहूर्त में पूर्ण होती है ।
६५. प्रश्न: मनः पर्याप्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर : अनुभूत अर्थ के स्मरण रूप शक्ति की निमित्तभूत मनोवर्गणा के स्कन्धों से निष्पन्न पुद्गलप्रचय की प्राप्ति को मनः पर्याप्ति कहते हैं। यह पर्याप्ति भी भाषापर्याप्ति के पश्चात् एक अन्तर्मुहूर्त में पूर्ण होती है।
इन सब पर्याप्तियों में प्रत्येक का काल अन्तर्मुहूर्त है और सबका मिलाकर भी अन्तर्मुहूर्त ही है। सब पर्याप्तियों का प्रारम्भ एक साथ होता है, परन्तु पूर्णता क्रम से होती है । ६६. प्रश्न: पर्याप्तक, निर्वृत्यपर्याप्तक और लब्धपर्याप्तक किसे कहते हैं ?
उत्तर : पर्याप्त नामकर्म के उदय से युक्त जिन जीवों की शरीर पर्याप्ति पूर्ण हो जाती है, उन्हें पर्याप्तक जीव कहते हैं।
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