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५८. प्रश्न: योनि और कुल में क्या अन्तर है ?
उत्तर : कन्द, मूल, अण्डा, गर्भ, रस, स्वेद आदि जीव के उत्पत्ति - स्थान को योनि कहते हैं ।
भिन्न-भिन्न शरीर की उत्पत्ति में कारणभूत नोकर्मवर्गणा के भेदों को कुल कहते हैं।
५६. प्रश्न: पर्याप्ति किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद हैं ? उत्तर : आहार, शरीर, इन्द्रिय, आनापान, भाषा और मनरूप शक्तियों की पूर्णता के कारण को पर्याप्ति कहते हैं। पर्याप्ति के छह भेद हैं- १. आहार, २. शरीर, ३. इन्द्रिय, ४. श्वासोच्छ्वास, ५. भाषा और ६. मन ।
६०. प्रश्न: आहार पर्याप्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर : नवीन शरीर के लिए कारणभूत जिन नोकर्मवर्गणाओं को जीव ग्रहण करता है, उनको खल और रसभाग रूप परिणमने की शक्ति की निमित्तभूत आगत पुद्गल स्कन्धों की प्राप्ति को आहारपर्याप्ति कहते हैं। शरीर को ग्रहण करने के प्रथम समय से लेकर एक अन्तर्मुहूर्त में आहार पर्याप्ति निष्पन्न होती है।
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