Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ गोरे तन में प्राण बिम्बित, फूल बीनत लाल बिहारी। जब-जब हाथ न परत तबही, हँसी जात प्यारी॥. इनकी काव्य-कला साधारण कोटि की है। गौड़ीय सम्प्रदाय के कृष्ण-भक्त कवि : इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक महाप्रभु चैतन्य थे। इनका दार्शनिक सिद्धान्त "अचिन्त्य भेदा-भेद" कहलाता है। हम इनके दार्शनिक सिद्धान्तों की चर्चा न कर इस सम्प्रदाय के प्रमुख कृष्ण-भक्त-कवियों का उल्लेख करेंगे। (1) रामराय : इनका उल्लेख "भक्तमाल" तथा "दो सौ वैष्णव वार्ता" दोनों में मिलता है। ये गोस्वामी विठ्ठलनाथ के शिष्य थे। इनके पद, कीर्तन संग्रहों में श्री भगवान् हित रामराय की छाप से प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। अनेक पदों में मात्र रामराय की छाप है। इनका जन्म लाहौर में हुआ था। बाद में वे आशुधरजी के साथ ब्रज में आये। वहाँ से चैतन्य प्रभु के दर्शन करने हेतु जगन्नाथपुरी गये। तद् उपरान्त श्री विठ्ठलनाथ से दीक्षा प्राप्त कर ब्रज में ही कृष्ण भक्ति का प्रचार-प्रसार करते रहे। इनकी प्रसिद्ध कृति "आदिवाणी" है। इसमें श्री राधा-कृष्ण की लीलाओं का सुमधुर गान किया है। : (2) सूरदास मदनमोहन :___ ये अकबर के समय में संडीले के अमीन थे। ये जाति से ब्राह्मण तथा गौड़ीय सम्प्रदाय के वैष्णव थे।६ कहते हैं; ये बहुत दानी थे। अपना-पराया सब कुछ साधुसन्तों को दान कर देते थे। भक्तमाल में भी इनकी मुक्त-कंठ से प्रशंसा की गई है। ये सनातन गोस्वामी के शिष्य थे। इनका मूल नाम सूरदास था लेकिन उपास्यदेव मदनमोहन होने के कारण सूरदास मदनमोहन के नाम से श्री कृष्ण की अटलता जुड़ाई। इनकी कोई प्रामाणिक रचना नहीं मिलती परन्तु बाबा कृष्णदास ने सुहृद्वाणी में इनके 150 पदों का संग्रह किया है। इनके पदों में श्रृंगार व वात्सल्य भाव भरा पड़ा है। इनकी कविता भावपूर्ण एवं उत्कृष्ट कोटि की है। (3) गदाधर : ये दक्षिणी ब्राह्मण थे। कहा जाता है कि ये चैतन्य महाप्रभु को भागवत सुनाया करते थे। आचार्य शुक्ल ने इनका रचनाकाल संवत् 1580 से 1600 के बीच माना है। ये संस्कृत एवं हिन्दी के प्रकाण्ड पण्डित थे। नाभादास ने इन्हें सुहृद्, सुशील, वचनप्रतिपालक, अनन्य भजनी, भक्त-सेनी एवं अद्वितीयता के रूप में चित्रित किया है। इनका ग्रन्थ "आदिवाणी" तथा "युगल-शतक" दोनों नामों से जाना जाता है। इसमें राधा-कृष्ण की युगल मूर्ति की उपासना विधि का सुन्दर अंकन किया. है। ये अनुभूति