Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ (4) नेमीश्वर रास :-इस कृति के रचयिता "नेमिचन्द" हैं जिन्होंने सन् 1712 में इसकी रचना की है। इस ग्रन्थ पर भी हरिवंशपुराण का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है। कवि के स्वयं के शब्दों में हरिवंश बारता कही विविध प्रकार। नेमिचन्द की वीनती कवियण लेहु सुधार॥ यह राजस्थानी मिश्रित भाषा में निरूपित "खण्ड-काव्य" है। कृष्णचरित्र वर्णन में कवि ने हरिवंशपुराण का अनुसरण किया है। श्री कृष्ण ही इस कृति के मुख्य पात्र हैं। . उदाहरणार्थ साम्यता पर आधारित कुछ पद द्रष्टव्य हैं। यथाहरिवंशपुराण - अभिपतदरिहस्ताखड्गमाक्षिप्य केशेष्वतिदृढमतिगृह्याहत्य भूमौ सरोषम्। विहितपुरुषपादाकर्षणस्तं शिलायां तदुचितमिति मत्वास्फाल्य हत्वा जहास॥१६ नेमीश्वररास - कंस कोप करि उठ्यो, पंहुच्यो जादुराय पै। एक पलक में मारियो जम घरि पंहुच्यो जाय तो॥ जै जै कार सबद हुआ बाजा बज्यासार। कंस मारि धास्यो तबै, पलक न लाइ बार॥१७ हरिवंशपुराण द्वन्द्वयुद्धे शिरस्तुंगं शिशुपालस्य पातितम्। विष्णुना यशसा साकं सायकेन विदूरतः।। हली जर्जरितं कृत्वा रथेन सह रुक्मिणम्। प्राणशेषमपाकृत्य कृती कृष्णयुतो ययौ। रुक्मिणी परिणीयासौ गिरौ रैवतके हरिः। विभूत्यापरया तुष्टः सबन्धुरविशत्पुरीम्॥१८ नेमीश्वर रास - इतनी कहि जब कोपियो नारायण जब छोड़यो बाण तो। सिरछंदो शिशुपाल को, भागि गया सब दल दल पाण तो॥ शिशुपाल मारयौ पैषस्यौ रुक्म्यो लियौ जु बांधि। परणी राणि रुक्मणी लगन मुहरत साधि॥१९ -