Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
View full book text ________________ 81.. सूरसागर पद सं० 2850 - पृ० 975 82. सूरसागर पद सं० 549 - पृ० 226 83. सूरसागर पद सं० 2421 - पृ० 874 सूरसागर पद सं० 2421 - पृ० 874 सूरसागर पद सं० 540 - पृ० 222 86. सूरसागर पद सं० 503 - पृ० 206 सूरसोगर पद सं० 1936 - पृ० 440 88. सूरसागर पद सं० 88 - पृ०.२८ 89. सूरसागर पद सं० 1398 - पृ० 528 सूरसागर पद सं० 714 - पृ० 294 सूरसागर पद सं० 764 - पृ० 311 92. सूरसागर पद सं० 644 - पृ० 268 93. सूरसागर पद सं० 774 - पृ० 314 94. सूरसागर और उनका साहित्य - डॉ० देशराजसिंह भाटी - पृ० 526 95. अंगीकरोति यः काव्यं शब्दार्थावनलंकृति। असौ न मन्यते कस्मादनुष्णमनलंकृति // चन्द्रालोक - जयदेव , 96. भ्रमरगीतसार - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल - पृ० 23 97. हरिवंशपुराण सर्ग 42/99 - पृ० 511 98. हरिवंशपुराण सर्ग 57/181 - पृ० 659 99. हरिवंशपुराण सर्ग 59/84 - पृ० 701 100. सूरसागर पद सं० 4106 - पृ० 1320 101. सूरसागर पद सं० 2068 - पृ० 761 102. हरिवंशपुराण सर्ग 59/62 - पृ० 699 103. हरिवंशपुराण सर्ग 60/47 - पृ० 706 104. हरिवंशपुराण सर्ग 60/48 - पृ० 709 105. सूरसागर पद सं० 1214 - पृ० 472 106. हरिवंशपुराण सर्ग 55/58-59 - पृ० 623 107. सूरसागर पद सं० 4382 - पृ० 1389 108. हरिवंशपुराण सर्ग 42/108 - पृ० 513 109. सूरसागर पद सं० 2079 - पृ० 765 110. हरिवंशपुराण सर्ग 51/44 - पृ० 656 % 3D % 3D %3
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