Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ वर्णन किया गया है तथा दूसरे प्रकार की वे कृतियाँ, जिनमें अर्हत् अरिष्टनेमि, कृष्ण, गजसुकुमाल, प्रद्युम्न कुमार आदि को परम्परागत जैन कथा-वस्तु के आधार से वर्णित किया गया है। यह परम्परा न केवल संस्कृत भाषा में वरन् प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी आदि विविध भाषाओं में एक सी रही है। आगमेतर साहित्य में कृष्ण-चरित्र सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण कृतियाँ निम्न प्रकार से हैं(१) वासुदेव हिण्डी : आगमेतर प्राकृत कथा साहित्य की यह प्राचीन कृति है। इसमें श्री कृष्ण के पिता वसुदेव के भ्रमण (हिण्डी) का विस्तृत वत्तान्त उल्लेखित है। यह कृति दो खण्डों में विभक्त है। इस ग्रन्थ के प्रथम खण्ड के रचायता संघदास गणि तथा दूसरे के धर्मसेन गणि हैं।११३ . वसुदेव जी का चरित्र वर्णन दूसरे खण्ड में है। इसके अनुसार वसुदेव ने सौ वर्ष तक भ्रमण किया एवं अनेक कन्याओं के साथ विवाह किया। वसुदेव चरित्र के साथ में इस ग्रन्थ में श्री कृष्ण का, उनके पुत्र प्रद्युम्न इत्यादि का भी वर्णन हुआ है। (2) हरिवंशपुराण :.. जैन साहित्य में कृष्ण-चरित्र के वर्णन की दृष्टिकोण से इस पौराणिक कृति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह संस्कृत भाषा में रचित, 66 सर्गों की विशालकाय काव्य कृति है। यह ऐसी प्रथम कृति है, जिसमें कृष्ण का सम्पूर्ण चरित्र व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध रूप से वर्णित हुआ है। कृष्ण-चरित्र वर्णन की दृष्टि से बाद के जैन साहित्यकारों के लिए यह "उपजीव्य" रही है। इस ग्रन्थ के रचयिता दिगम्बर जैनाचार्य जिनसेन थे। यही ग्रन्थ हमारे शोध का आलोच्य ग्रन्थ रहा है। अतः इसका विस्तृत वर्णन अगले परिच्छेदों में किया जायेगा। परन्तु यह पुराण ग्रन्थ महाकाव्य के गुणों से गुंथा हुआ एक उच्चकोटि का काव्य है। हिन्दी की हरिवंश पुराण शीर्षक, कई कृतियाँ इससे पूर्ण रूप से प्रभावित रही हैं। (3) महापुराण (उत्तर-पुराण) : संस्कृत जैन साहित्य का यह महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं—आदिपुराण तथा उत्तरपुराणः। यह विशालकाय ग्रन्थ छिहत्तर सर्गों में पूरा हुआ है। इस ग्रन्थ का रचनाकाल वि०सं० 910 माना जाता है।१४ इसके उत्तरपुराण पर्व 61 से 63 तक में श्री कृष्ण-चरित्र का वर्णन हुआ है। यह वर्णन हरिवंशपुराण की अपेक्षा संक्षिप्त है। हिन्दी में खुशालचन्द्र काला कृत "उत्तरपुराण" इसी ग्रन्थ से प्रभावित रचना है। (4) प्रद्युम्न चरित्र : ___ इस ग्रन्थ के रचयिता महासेनाचार्य थे।१५ यह संस्कृत खण्ड काव्य है। इसमें श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का वर्णन है। द्वारिका के राजा कृष्ण की रानी रुक्मिणी से उसका