Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ वैसे जिनसेनाचार्य ने कृष्ण की बाल-किशोर लीलाओं का भी वर्णन किया है परन्तु वह सूर जैसी गहराई से नहीं है। उन्होंने वीर योद्धा, द्वारिका के सम्राट तथा महान् कूटनीतिज्ञ कृष्ण के निरूपण में ही सर्वाधिक महत्त्व दिया है। बालकृष्ण के वर्णन में भी कवि ने वीरता दिखाने का प्रयास कर उनके शलाकापुरुष स्वरूप की पूर्व-पीठिका बाँधी है। उनके आगे के वर्णनों में भी श्री कृष्ण के साहस, शौर्य, बहादुरी तथा वीरता आदि गुणों को अत्यधिक महत्त्व दिया है। कृष्ण चरित्र वर्णन में हरिवंशपुराण में श्री कृष्ण की वंश-परम्परा, उनका जन्म, उनकी किशोरावस्था, उनके अनेक विवाह, उनके पुत्र इत्यादि विविध प्रसंगों को विविधता के साथ वर्णित किया गया है। उन्होंने श्री कृष्ण को आध्यात्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत एक महापुरुष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। .. - तात्पर्य यह है कि दोनों कृतियों में श्री कृष्ण चरित्र के विविध पहलुओं को साम्य-विषमता के साथ निरूपित किया गया है। कथावस्तु के अध्ययन में हम क्रमबद्धता को ध्यान में रखकर श्री कृष्ण चरित्र के पूर्वार्द्ध एवं उत्तरार्द्ध का विवेचन करेंगे। पूर्वार्द्ध के विवेचन में कृष्ण के जन्म से लेकर कंस वध तक की घटनाओं का समावेश किया गया है - जिनका क्रम निम्न प्रकार से है कथावस्तु का पूर्वार्द्ध . 1. जन्मलीला 2. बाललीला 3. श्री कृष्ण के लोकोत्तर पराक्रम क. पूतना वध ख. कागासुर वध ग. शकट-भंजन घ. तृणावर्त-उद्धार 4. ऊखल बन्धन तथा यमलार्जुन उद्धार 5. गोचारण-प्रसंग 6. कालियनाग-दमन 7. गोवर्धन-धारण 8. दावानल-पान-लीला 9. श्री कृष्ण की रसिक लीलाएँ क. रासलीला -