Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ 3 हरिवंशपुराण और सूरसागर की कथावस्तु दिगम्बर जैनाचार्य जिनसेन कृत हरिवंशपुराण और सूरदास रचित सूरसागर दोनों विशालकाय ग्रन्थों में मुख्यतः श्री कृष्ण-चरित्र लीला वर्णन है। हरिवंशपुराण में कवि ने हरिवंश में उत्पन्न समस्त चरित्र-वर्णनों का समावेश किया है जिसमें अरिष्टनेमि उल्लेखनीय है। महाकवि सूर ने भागवत के अनेक प्रसंगों को सूरसागर में निरूपित किया है परन्तु उनका मन-मयूर कृष्णलीला वर्णन में ही अत्यधिक रमा है। उन्होंने अपने समस्त सांसारिक भावों को श्रीकृष्ण चरण-कमलों में समर्पित कर उनकी मधुर लीलाओं का गान करना ही अपना सर्वोत्तम लक्ष्य माना है। हरिवंशपुराण में कृष्ण-चरित्र के अनेक प्रसंगों को कवि ने विस्तार से चित्रित किया है। श्री कृष्ण का राजनैतिक स्वरूप, आध्यात्मिक स्वरूप तथा शलाकापुरुष के स्वरूप में उनकी नवीन उद्भावनाएँ द्रष्टव्य हैं। - हरिवंशपुराण तथा सूरसागर में कृष्ण-चरित्र के अलावा भी अनेक अवान्तर प्रसंग उल्लेखित हैं परन्तु शोध विषय की मर्यादानुसार यहाँ मात्र श्री कृष्ण चरित्र वर्णन का ही तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास होगा। श्री कृष्ण-चरित्र लीला वर्णन में अन्य प्रासंगिक घटनाओं को निरूपित करते हुए दोनों कृतिकारों के मूलभाव एवं उनके द्वारा वर्णित श्री कृष्ण के स्वरूप को देखने का ही इस परिच्छेद का मूल हेतु है। ... हरिवंशपुराण जैन परम्परा में लिखा प्राचीन पौराणिक ग्रन्थ है। यह प्रबन्धशैली से लिखा गया विशालकाय चरित्र-महाकाव्य है। परन्तु सूरसागर मुक्तशैली से लिखा काव्यग्रन्थ है। हरिवंशपुराण में जैन परम्परानुसार श्री कृष्ण चरित्र का वर्णन मिलता है जबकि सूरसागर में भागवतानुसार श्री कृष्ण-चरित्र को चित्रित किया है। दोनों ग्रन्थों में धार्मिक मान्यतानुसार भी अनेक भिन्नताएँ हैं, उन्हें भी इसी परिच्छेद में देखा जायेगा। __इन दोनों काव्य-ग्रन्थों का क्षेत्र अलग-अलग है। सूर ने तो द्वारिकेश कृष्ण की अपेक्षा यशोदानन्दन तथा गोपीवल्लभ कृष्ण को ही सर्वाधिक महत्त्व दिग है। उनके काव्य में श्री कृष्ण की बाल-किशोरलीलाएँ ही सूक्ष्मतम अनुभूतियों के साथ निरूपित हैं, जबकि हरिवंशपुराणकार जिनसेनाचार्य ने यशोदानन्दन एवं गोपीवल्लभ कृष्ण की अपेक्षा भौतिक लीला के विस्तारक वीरपुरुष के रूप में उन्हें अधिक चित्रित किया है। इनके काव्य में श्री कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन चरित्र व्यवस्थित व क्रमबद्ध रूप से विवेचित है। - =htag=