Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ ने श्री कृष्ण का ध्यान किया, तब श्री कृष्ण ने अविलम्ब उससे विवाह कर उसके सकल मनोरथ पूर्ण किये। हरि के चरणों का चित्त लगाने से "सत्या" के साथ श्री कृष्ण ने विवाह किया एवं इसी प्रकार भद्रा ने श्री कृष्ण ने स्मरण किया तो त्रिभुवनराम ने तुरंत ही उसकी मनोइच्छा पूर्ण की। अन्य रानियों की भाँति लक्ष्मणा ने भी हरि का ध्यान किया तो श्री कृष्ण ने स्वयंवर में उसे प्राप्त कर लिया। इस प्रकार श्री कृष्ण ने इन सब कन्याओं को प्राप्त कर उन्हें अपनी पटरानियाँ बनाया तथा सुखपूर्वक रहने लगे।३९ / . श्री कृष्ण की आठ पटरानियों के सिवाय सूरसागर में नारद-संशय तथा भौमासुरवध प्रसंग में उनकी सोलह हजार रानियों का वर्णन मिलता है। नारद मुनि को एक बार अपने मन में यह होता है कि जाकै गह द्वे नारि हैं, ताहि कलह नित होइ, हरि बिहारी किहि विधि करत, नैननि देखो जोई।१४० और वे कृष्ण के प्रत्येक महल में जाकर देखते हैं तो वहाँ श्री कृ. विराजमान हैं। वे सोचते हैं शायद श्री कृष्ण जल्दी दौड़कर मेरे से पहले दूसरे महल में चले जाते हैं। इसी से वे तेजी से दूसरे महल में पहुंचते हैं तो देखते हैं कि श्री कृष्ण बालकों से खेल रहे हैं। इस प्रकार श्री कृष्ण उन्हें हर जगह दिखाई देते हैं। इसी प्रकार श्री कृष्ण द्वारा भौमासुर को मारकर उसके यहाँ बन्दी सोलह हजार कुमारियों को छुड़ाकर उनसे विवाह का वर्णन भी मिलता है। षष्ठ दस सहस कन्या असुर बंदि मैं, नींद अरू मुख अहनिसि बिसारी। बहुरि बहु रूप धरि गए सबन घर, ब्याह करि सबनि की आस पूरी।' सबनि कै भवन हरि रहत सब रैनि दिन, सबनि सौ नैकु नहिँ होत दूरी॥१४१ इस प्रकार सूरसागर में श्री कृष्ण की सोलह हजार रानियों तथा आठ पटरानियों का उल्लेख मिलता है जिसे कवि ने वर्णनात्मक शैली से विवेचित किया है। इस प्रसंग के निरूपण में सूर के भाव एवं भाषा में सरलता परिलक्षित होती है। हरिवंशपुराण में श्री कृष्ण के अनेक विवाहों का उल्लेख किया गया है परन्तु यह चित्रण सूरसागर से सर्वथा भिन्न है। सत्यभामा के साथ श्री कृष्ण के विवाह का प्रसंग जिनसेनाचार्य ने इस प्रकार कहा है कि सत्यभामा रथनूपुर चक्रवाल नगर के राजा सुकेतु की पुत्री थी। कृष्ण के शौर्य के समाचार मिलने पर सुकेतु ने एक दूत श्री कृष्ण के पास भेजा तथा मथुरा से सन्देश मिलने पर सत्यभामा को मथुरा ले जाकर उसका विवाह श्री कृष्ण के साथ कर दिया।