Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Author(s): Udayram Vaishnav
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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________________ गोपियाँ श्री कृष्ण को कहती हैं कि आप कृपासिन्धु हैं, आप अपने इस विरुद की लज्जा रखो। तुम्हें पाकर हम वापस कैसे लौट जाए। हमने अपना सर्वस्व तुम्हें माना है, इसलिए हम यहाँ आई हैं। हम अपने प्राण त्याग देंगी, परन्तु हमें वापस जाने पर विवश मत करो। हमारे पर अनुकम्पा करके हमसे प्रेमपूर्वक बात करो। गोपियों की ऐसी करुणता देखकर कृष्ण ने जान लिया कि ये परीक्षा की कसौटी में सम्पूर्ण रूप से खरी उतरी हैं। गोपियों की ऐसी अन्धता से प्रसन्न होकर कृष्ण उन्हें रास के लिए प्रस्तुत हो जाने का आदेश देते हैं। रास की यह आज्ञा सुनते ही बादल में बिजली की भाँति गोपिकाओं के बदन हर्ष से चमक उठे। गोपियों और कृष्ण का यह संवाद सूर ने बड़ी मनोवैज्ञानिकता के आधार पर एवं नाटकीयता के साथ निरूपित किया है। इस लीला में कृष्ण चरित्र में जहाँ गौरवशीलता एवं मर्यादा का मिश्रण है, यहाँ गोपियों में प्रेम-कातरता, स्नेहशीलता एवं दयनीयता का अनुपम संयोग है। रास के आदेश से गोपियों में ऐसा हर्षावेश हो गया, जो वर्णनातीत है। प्रस्तुत है सूरसागर का यह पद हरि-मुख देखि भूले नैन। हृदय हरषित प्रेम गदगद, मुख न आवत बैन॥ काम-आतुर भजी गोपी हरि मिले तिहिँ भाइ। मिलति इक-इक भुजति भरि-भरि रास रुचि जिय आनि। तिहि समय सुख स्याम-स्यामा, सूर क्यौ कहे गानि॥५७ श्री कृष्ण भी अपने रास प्रस्ताव के पश्चात् स्वयं की ढिठाई पर पश्चात्ताप करते हैं तथा अत्यन्त विनम्र एवं दीन बनकर गोपियों से क्षमायाचना करते हैं। वे स्वयं को असाधु और गोपियों को साधु घोषित करते हैं स्याम हंसि बोले प्रभुता डारि। . बारबार विनय कर जोरत, कटि-पट गोद पसारि। तुम सनमुख मैं विमुख तुम्हारौं, मैं असाधु तुम साध। धन्य धन्य कहि कहि जुवतिनि काँ, आपु करत अनुराध॥१८ इसके पश्चात् रास शुरु होता है। कवि ने अपनी मौलिकता के आधार पर मधुर भावों की बड़ी भावपूर्ण अभिव्यंजना की है। इसमें संभोग शृंगार तथा विप्रलंभ भंगार के समस्त भावों का निरूपण हुआ है। जब गोपियों को अहम् हो गया तो भगवान् अन्तर्ध्यान हो जाते हैं। गोपियाँ कृष्ण-वियोग में विह्वल होकर वन-वन भटकती हैं। वे सभी लताद्रुम से कृष्ण के बारे में पूछती है। उधर राधा भी अत्यन्त व्याकुल तथा विक्षिप्त अवस्था में मिलती है। राधा की व्याकुलता का भावपूर्ण अंकन देखिये- .