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१०२ : जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय
प्रसंग में द्रव्य स्त्री और भाव स्त्री का प्रश्न उठाना ही निरर्थक है। धवलाकार स्वयं भी इस स्थान पर शंकित था क्योंकि इससे स्त्री-मुक्ति का समर्थन होता है अतः उसने अपनी टीका में यह प्रश्न उठाया है कि मनुष्यनी के सन्दर्भ में सप्तम गुणस्थान मानने पर उसमें १४ गुणस्थान भी मानने होंगे और फिर स्त्री-मुक्ति भी माननी होगी।' किन्तु जब देव, मनुष्य, तिर्यञ्च आदि किसी के भी सम्बन्ध में मूल ग्रन्थ में द्रव्य और भाव की चर्चा का प्रसंग नहीं उठाया गया, तो टीका में मनुष्यनी के सम्बन्ध में यह प्रसंग उठाना केवल साम्प्रदायिक आग्रह का ही सूचक है । वस्तुतः प्रस्तुत ग्रन्थ यापनीय सम्प्रदाय का रहा है। चूंकि उक्त सम्प्रदाय स्त्रीमुक्ति को स्वीकारता था अतः उसे यह सूत्र रखने में कोई आपत्ति हो नहीं हो सकती थी। समस्या तो उन टीकाकार आचार्यों के सामने आई जो स्त्री-मुक्ति का निषेध करने वाली दिगम्बर परम्परा की मान्यता के आधार पर इसका अर्थ करना चाहते थे। अतः मूलग्रन्थ में 'संजद' पद को उपस्थिति से षट्खण्डागम मूलतः यापनीय परम्परा का ग्रन्थ है इसमें किंचित् भी संशय का स्थान नहीं रह जाता है।
यापनीय परम्परा के सम्बन्ध में यह भी सुनिश्चित है कि वे श्वेताम्बर आगमों को मानते थे और उनकी परम्परा में उनका अध्ययनअध्यापन भी होता था। यही कारण है कि षट्खण्डागम की विषयवस्तु बहुत कुछ रूप में श्वेताम्बर परम्परा के प्रज्ञापना सूत्र से मिलती है। यद्यपि षट्खण्डागम में चिन्तन का जो विकास है वह प्रज्ञापना में नहीं है । इस सम्बन्ध में पं० दलसुख भाई मालवणिया ने विस्तार से जो चर्चा की है, उसे हम अतिसंक्षेप में यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं
१. प्रज्ञापना और षट्खण्डागम दोनों का आधार 'दृष्टिवाद' है अतः दोनों की सामग्री का स्रोत एक ही है। २. दोनों की विषयवस्तु में बहुत-कुछ समानता है किन्तु दोनों की निरूपण शैली भिन्न है-एक जीव को केन्द्र में रखकर विवेचन करता है तो दूसरा बद्ध कर्मों के क्षय के कारण निष्पन्न गुणस्थानों को दृष्टि में रखकर जीव का विवेचन करता है। ३. प्रज्ञापना के ३६ पदों में से कर्मबन्धक, कर्मवेदक, वेद बन्धक, वेदवेदक और वेदना ये छः खण्ड, षट्खण्डागम में भी इसी नाम से सूचित किए गये हैं, जिनकी समानता तुलनीय है । १. देखें-वही खण्ड १, भाग १, पुस्तक १, पृष्ठ ३३४ पर धवला टीका । २. पण्णवणासुत्त द्वितीय भाग-प्रस्तावना ( गुजराती ) पृ० महावीर विद्यालय
बम्बई
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