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जैनधर्म में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न : ४३९
संतरुत्तर से नग्नता किसो भो प्रकार फलित नहीं होती है। वस्तुतः संतरुत्तर शब्द का प्रयोग आचारांग में तीन वस्त्र रखने वाले साधुओं के सन्दर्भ में हआ है और उन्हें यह निर्देश दिया गया कि ग्रीष्म ऋतु के आने पर वे एक जीर्ण-वस्त्र को छोड़कर संतरुत्तर अर्थात् दो वस्त्र धारण करने वाले हो जायें। अतः संतरुत्तर होने का अर्थ अन्तरवासक और उत्तरोय ऐसे दो वस्त्र रखना है। अन्तरवस्त्र आजकल का Under wear अर्थात् गुह्यांग को ढकने वाला वस्त्र है। उत्तरीय शरीर के ऊपर के भाग को ढकने वाला वस्त्र है। "संतरुत्तर" को शीलांक की यह व्याख्या भी हमें यही बताती है कि उत्तरोय कभो ओढ़ लिया जाता था और कभी पास में रख लिया जाता था, क्योंकि गर्मी में सदैव उत्तरीय ओढ़ा नहीं जाता था। अतः संतरुत्तर का अर्थ कभी सचेल हो जाना और कभी वस्त्र को पास में रखकर अचेल हो जाना नहीं है। यदि संतरुत्तर होने का अर्थ कभी सचेल और कभी अचेल ( नग्न ) हाना होता तो फिर अल्पचेल और एकशाटक होने को चर्चा इसो प्रसंग में नहीं की जाती। तीन वस्त्रधारी साधु एक जीर्ण-वस्त्र का त्याग करने पर संतरुत्तर होता है। एक जीर्ण-वस्त्र का त्याग और दूसरे जीर्ण-वस्त्र के जीर्ण भाग को निकालकर अल्प आकार का बनाकर रखने पर अल्पचेल, दोनों जीर्ण वस्त्रों का त्याग करने पर अचेल होता है। वस्तुतः आज भी दिगम्बर परम्परा का क्षुल्लक सान्तरोत्तर है और ऐलक एकशाटक और मुनि नग्न ( अचेल ) होता है। अतः पार्श्व को सचेल सान्तरोत्तर परम्परा में मुनि दो वस्त्र रखते थे--अधोवस्त्र और उत्तरीय । उत्तरोय आवश्यकतानुसार शीतकाल आदि में ओढ़ लिया जाता था और ग्रीष्मकाल में अलग रख दिया जाता था।
आचारांग के नवें उपधानश्रुत नामक अध्याय में महावीर का जीवनवृत्त वर्णित है । ऐतिहासिक दृष्टि से महावीर की जीवन-गाथा के सम्बन्ध में इससे प्राचीन एवं प्रामाणिक अन्य कोई सन्दर्भ हमें उपलब्ध नहीं है। आचारांग-द्वितीय श्रुतस्कन्ध, कल्पसूत्र, भगवती और बाद के सभी महावीर के जीवन-चरित्र सम्बन्धो ग्रन्थ इससे परवर्ती हैं और उनमें महावीर के जीवन के साथ जुड़ी अलौकिकताएँ यही सिद्ध करती हैं कि वे महावीर की जीवन गाथा का अतिरंजित चित्र ही उपस्थित करते हैं। इसलिए महावोर के जीवन के सम्बन्ध में जो भो तथ्य हमें उपलब्ध है, बे प्रामाणिक रूप में आचारांग के प्रथम श्रुतस्कन्ध के इसो उपधानश्रुत में उपलब्ध है। इसमें महावीर के दीक्षित होने का जो विवरण है उसमे
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