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(१)
राग आसावरी आज आनन्द बधावा ॥ टेक ।। जनम्यो आदीसुर नाभीके भौन। कीनौं सब इन्द्र मिलि, मेरुपै न्हौंन॥आज.॥१॥ ऐरावत शक चढ्यो, गोदमें किशोर। नाचत हैं अपछरा सु सत्ताइस कोर ।। आज. ॥ २॥ अजोध्या नगर सब, घेर्यो देवि देव । नर नारी अचरज यह, देखें सब एव । आज.॥३॥ 'द्यानत' मरुदेवीपद, सची सीस नाय। धन धन जग माता, हमैं सुख दाय।।आज. ॥ ४॥
आज आनन्द-वृद्धि हो रही है अर्थात् आज सब ओर प्रसन्नता का वातावरण हो रहा है। ___ श्री नाभिराय के घर में ( भगवान) आदिनाथ का जन्म हुआ है, जिनको मेरु पर ले जाकर इन्द्र और देवता आदि सबने मिलकर, जन्मकल्याणक (जन्मोत्सव) मनाया है, उनका न्हवन किया है।
इन्द्र ऐरावत हाथी पर आसीन होकर गोद में ( भगवान) आदीश्वर को लिये हुए है । सत्ताइस करोड़ अप्सरायें नृत्य कर रही हैं । सब देवी-देवता अयोध्यानगरी के चारों ओर खड़े हैं, जैसे उन्होंने चारों ओर से अयोध्या को घेर लिया हो और सब नर-नारी उस दृश्य को, उस घटना को बड़े अचरज व कौतूहल से देख रहे हैं।
यानतराय कहते हैं कि इन्द्राणी आकर माता मरुदेवी के चरणों में नमन करती है। धन्य है वह माता जिसने ऐसे पुत्ररत्न को जन्म दिया है जिसके कारण सर्वत्र सुख व आनन्द व्याप्त हो गया है।
घानत भजन सौरभ