________________ (7) सं० 1980 में बारह व्रत स्वीकार किये, तथा मुनि श्री दुर्लभविजयजी के उपदेश से अठाई महोत्सव, शांति स्नात्र, व स्वामीवात्सल्य किया। __सं० 1983 के माघ शुदि 6 के दिन आप की धर्मपत्नी, श्रीमती मिश्रीबाई का, जो कि-बडी ही धर्मात्मा, और आप के धर्मकार्य में हमेशा सहयोग देती थी, स्वर्गवास हुआ। उनके निमित्त आपने 5000) रुपये शुभकार्य में लगाने के निश्चित किये / इस रकम को आपने इस प्रकार शासन प्रभावना में लगायाः साध्वीनी महाराज श्री विमलश्रीजी आदि 10 ठानों का भोपाल पधारना हुआ / उस समय उज्जैननिवासी पारेख फतेचंदनी की पुत्री बाई पानकुंवरने भोपाल में दीक्षा ली / इस दीक्षा के निमित्त आपने इस प्रकार कार्य किये: 1 अठाई महोत्सव, मंदिर में रोशनी वगैरह. 2 बाहरगांवसे आनेवाले महमानों का एवं गांव के स्वामिभाईयों का स्वामिवात्सल्य / 3 तीर्थक्षेत्रों व जीवदया वगैरह फण्ड में सहायता दी / 4 भोपाल के मंदिर में 245 रु. की लागत का एक त्रिगड़ा बनवा कर भेट दिया।