________________
भारतीय संवतों का इतिहास
होता है कि इसके संदर्भ में कोई प्राचीन मान्य साक्ष्य उपलब्ध नहीं है और न ही कोई ऐसी वैज्ञानिक गणना पद्धति है जिसको देश के विभिन्न स्थानों पर रहने वाले लोग अपनाते हों, क्योंकि उत्तर प्रदेश के मेरठ नगर से प्रकाशित होने वाले शुद्ध भारद्वाज पंचांग में शक १६११, कृष्ण सम्वत् ५२२५ तथा ई० सन् १६८६-६० दिया है जो ५२२५-१९८६=३२३६ ई० पूर्व आता है अर्थात् ३२३६ कृष्ण सम्वत् का आरम्भ वर्ष है, जबकि उपरोक्त वणित कुमायूं मण्डल के नव वर्ष बधाई पत्र में यह क्रम इस प्रकार है- शक १६०८, कृष्ण सम्वत् ५२१२ जो ई० सन् १९८६ के बराबर है अर्थात् ५२१२- १९८६= ३२२६ ई० पूर्व कृष्ण सम्वत् का आरम्भ हुआ। इस प्रकार कुमायूं व मेरठ के पंचांगों में कृष्ण सम्वत् आरम्भ का अन्तर १० वर्ष है। इस अन्तर का मूल कारण क्या है, ज्ञात नहीं। सम्भवत: इस सम्वत् की गणना क्षेत्रीय है, अतः अलग-अलग स्थानों पर स्वतन्त्र रूप से गणना की जा रही है व पूरे देश में इसमें समरूपता लाने का कोई प्रयास नहीं है । यह भी सम्भव है कि देश के अन्य स्थानों पर यह अन्तर और भी अधिक हो । ___ कृष्ण सम्वत् धार्मिक चरित्र से सम्बन्धित सम्वत् है अतः इसका प्रयोग धार्मिक कार्यों के लिए ही किया जा रहा है ।
युधिष्ठिर सम्वत् ___ महाभारत युद्ध की विजय के बाद राजा युधिष्ठिर ने शासन आरम्भ किया तथा अपने नाम से युधिष्ठिर सम्वत् का प्रचलन किया। किन्तु इस सम्वत् को कुछ विद्वान कलियुग सम्वत् ही मानते हैं तथा कुछ कलियुग सम्वत् से पृथक । इस सम्बत् के सम्बन्ध में बहुत कम साक्ष्य उपलब्ध हैं । इस तरह से यह महाभारत की ही किसी घटना से सम्बन्धित है अथवा महाभारत के प्रमुख पात्र युधिष्ठिर के जीवन की किसी घटना से सम्बन्धित है। कल्हण के अनुसार महाभारत युद्ध की तिथि २४४६ ई० पूर्व है। वाराहमिहिर के अनुसार भी महाभारत २४४६ ई० पूर्व में हुआ तथा कलेण्डर सुधार समिति ने युधिष्ठिर सम्वत् का आरम्भ २४४८ ई० पूर्व दिया है। जिससे कलि व युधिष्ठिर सम्वतों को एक ही मानने की सम्भावना हो सकती है परन्तु इस समिति की रिपोर्ट में कलि व युधिष्ठिर सम्वतों को पृथक्-पृथक् दिया गया है तथा पहले कलि सम्वत् का आरम्भ व बाद में युधिष्ठिर सम्वत् का आरम्भ दिया है । लेकिन अन्य साक्ष्यों से स्पष्ट है कि राजा युधिष्ठिर महाभारत युद्ध के समय स्वयं युद्ध
१. 'रिपोर्ट ऑफ द कलैण्डर रिफोमं कमेटी', दिल्ली, १९५५, पृ० २५८ ।