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चतुर्थ अध्याय
विभिन्न सम्वतों का पारस्परिक सम्बन्ध व वर्तमान अवस्था
पिछले दो अध्यायों में धर्मों से जुड़े व्यक्तियों से संबंधित संवत्, अध्याय दो तथा ऐतिहासिक घटनाओं से मारंभ होने वाले संवत् अध्याय तीन में वर्णित हुए हैं। इन संवतों के आरम्भकर्ता, आरम्भिक समय व गणना में भिन्नता होते हुए भी अनेक समानतायें हैं । धर्मचरित्रों से संबंधित संवतों की सामान्य प्रवृत्तियों को इस प्रकार देखा जा सकता है ।
इन संवतों का संबंध धर्म प्रचारकों, धर्मं प्रवर्तकों अथवा आध्यात्मिक व्यक्तियों से है जिन्हें भगवान मान लिया गया है । जैसे कृष्ण संवत्, बुद्ध निर्वाण संवत, महावीर निर्वाण संवत, ईसवी संवत, हिजरी संवत् तथा बहाई संवत् ।
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इनके आरंभ के संबंध में दी गयी तिथियां बहुत-बहुत अन्तर वाली हैं । इनमें अधिकतर संवतों का आरंभ तो अब से कुछ शताब्दी पूर्व ही निश्चित किया गया है लेकिन उनकी गणना का समय हजारों, करोड़ों वर्ष पूर्व माना गया है । अत: धर्म ग्रंथों में वर्णित कथायें व धार्मिक साहित्य ही इन संवतों के आरं भिक समय निर्धारण का आधार है जिनमें हजारों वर्ष का अन्तर सहज ही आ गया है । एक संवत् के आरंभ के संबंध में अनेक तिथियां तो दी ही गयी हैं इसके साथ ही एक ही विद्वान द्वारा एक संवत् के आरम्भ के लिए अलग-अलग तिथियां दी गई हैं । बुद्ध निर्वाण संवत् के लिए लगभग ५० तिथियां विभिन्न विचारकों ने दी हैं । साथ ही एक विद्वान ने इस सम्बन्ध में अलग-अलग तिथियां दी हैं । केन' ने ३६८, ३७०, ३८०, ३८८ ई० पूर्व तथा त्रिवेद ने १७६०, १७६३ ई० पूर्व की तिथियां बुद्ध निर्वाण के लिए दी हैं ।"
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१. डी०एस० त्रिवेद द्वारा उद्धृत, "भारत का नया इतिहास", वाराणसी, तिथि नहीं, पृ० १२ ।
२. डी०एस० त्रिवेद, "इण्डियन क्रोनोलॉजी”, बम्बई, १९६३, पृ० १७ ।